नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्य प्रदेश में अवैध व्यापार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला बालाघाट का है। जहां एक निजी भू-स्वामी जमीन में वृक्षों की धड़ल्ले से अवैध कटाई की जा रही है। वहीं इसकी अनुमति तहसीलदार ने दी। जबकि आदिवासी की जमीन से कटाई का प्रकरण था इसलिए इसकी अनुमति का अधिकार उनका नहीं था।
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पूरा मामला निजी भू स्वामी सुरज पुसाम के निजी जमीन में लगे कई प्रकार के बड़े वृक्षों की अवैध कटाई से जुड़ा हैं। प्रकरण के अनुसार लकड़ी माफियाओं ने भूमि स्वामी से मिलकर तहसील कार्यालय बिरसा में मिलीभगत करते हुए पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति प्राप्त की और सक्षम नहीं होने के बावजूद तहसीलदार ने 1273 पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी।
इस अनुमति के बाद वन माफियाओं ने संबंधित स्थान पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर उसे छलनी कर दिया। जहां बेसकीमती ईमारती लकड़ियों के बल्ली, लठठे व चटठे तथा ठूंठ अब भी मौके पर देखे जा सकते हैं। इस प्रकरण के संबंध में एसडीओ फारेस्ट प्रशांत साकरे ने बताया कि, पेड़ों की कटाई के पश्चात उसके परिवहन व टीपी के लिए मामला वन विभाग के पास अनुमति के लिए पहुंचा। तो यहां पर पूरा मामला अवैध पाया गया।
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आदिवासी की जमीन पर तहसीलदार ने दी अनुमति
आदिवासी की जमीन से कटाई का प्रकरण था इसलिए इसकी अनुमति का अधिकार तहसीलदार को नहीं थी। और न ही वे सक्षम थे। बल्कि कटाई की अनुमति देने का अधिकार कलेक्टर को था। बावजूद तहसीलदार ने कटाई की अनुमति दे दी। कटाई में जो मात्रा 1273 पेड़ों की दी गई थी, वहीं मौके पर 1920 पेड़ों की कटाई कर ली गई। इस तरह से यहां पर नियम विरूद्ध अवैध कटाई करना पाया गया। जिसके पश्चात वन विभाग ने इस मामले में आपत्ति करते हुए कलेक्टर को संज्ञान में लाया व कार्यवाही की अपेक्षा की हैं।
40-50 एकड़ जमीन में लगे पेड़
वहीं जमीन के मालिक सुरज पुसाम ने बताया कि, उनके परिवार में 7 सदस्य हैं और 116 एकड़ निजी जमीन में से 40-50 एकड़ जमीन में लगे पेड़ों की तहसील कार्यालय से अनुमति लेकर कटाई करवायी हैं। उन्होंने माना की ये अवैध कटाई हुई हैं। दरअसल पूरा मामला बहुत गंभीर हैं, जिसमें आदिवासी परिवार को इतने अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी जा सकती हैं। साफ तोर पर कहा जा सकता हैं कि तहसीलदार ने सक्षम नहीं होने के बावजूद वनमाफियाओं से सांठगांठ कर मौके के निरीक्षण किए बगैर कटाई की अनुमति दे दी। वहीं प्रकरण को साल भर होने जा रहा हैं पर इसमें अब तक कोई बड़ा एक्शन नहीं हुआ हैं। आगे प्रशासन क्या कार्यवाही करता हैं यह देखने वाली बात होगी।
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