सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। जिले के धनवार अंतर्राज्यीय वनोपज जांच नाका में लंबे समय से चल रहे नीलगिरी लकड़ी के अवैध परिवहन और वसूली को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद वन विभाग ने मामले में संज्ञान लेते हुए जांच नाका प्रभारी वनपाल मथुरा प्रसाद दुबे को धनवार नाके से हटा दिया है।

बता दें कि धनवार जांच नाका छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमाओं को जोड़ने वाला संवेदनशील बिंदु है, जहां से नीलगिरी लकड़ी का बड़े पैमाने पर परिवहन होता रहा है। आरोप है कि नाके पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से बिना वैध परिवहन अनुज्ञा (टीपी) या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ट्रकों को रात के अंधेरे में सीमा पार कराया जाता था।

व्हाट्सएप कॉल और फोन-पे से होती थी वसूली

शिकायतों में यह भी सामने आया कि लकड़ी कारोबारियों से सौदे व्हाट्सएप कॉल के जरिए तय किए जाते थे और फोनपे के माध्यम से मोटी रकम वसूली जाती थी। इसके बदले कारोबारियों को यह भरोसा दिया जाता था कि संबंधित वाहनों को नाके पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं होगी। इतना ही नहीं, अधिकारियों के मूवमेंट, चेकिंग की स्थिति, लोकेशन और वाहनों की एंट्री-एग्जिट से जुड़ी अहम जानकारी भी पहले ही कारोबारियों तक पहुंचा दी जाती थी।

स्टिंग में मिले पुख्ता साक्ष्य

मीडिया द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में इस पूरे रैकेट से जुड़े कई ठोस साक्ष्य सामने आए हैं। कॉल रिकॉर्डिंग, व्हाट्सएप चैट, लेनदेन के स्क्रीनशॉट, ट्रकों की लोकेशन और सीमा पार कराने से जुड़ी बातचीत ने पूरे नेटवर्क की परतें खोल दी हैं। स्टिंग में यह भी उजागर हुआ कि नाके पर पदस्थ एक सफाईकर्मी, जो स्वयं को वन विभाग का सिपाही बताता था, वसूली और समन्वय की अहम भूमिका निभा रहा था।

वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में

सूत्रों का दावा है कि इस अवैध गतिविधि को केवल नाके तक सीमित नहीं रखा जा सकता। वाड्रफनगर उपवन मंडल के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। विभाग के भीतर ही चुनिंदा अधिकारियों के संरक्षण में यह अवैध कारोबार लंबे समय से संचालित होने की बात कही जा रही है, जिससे शासन को प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

DFO ने दिखाई सख्ती, जांच जारी

लल्लूराम डॉट कॉम ने पूरे मामले को ”लकड़ी तस्करी सिंडिकेट का बड़ा खुलासा : जांच नाका में चल रहा अवैध वसूली का खेल, जंगल दरोगा सहित कई अधिकारियों का संरक्षण, स्टिंग में मिले कॉल रिकॉर्डिंग, व्हाट्सएप चैट और लेनदेन के साक्ष्य” शिर्षक के साथ प्रकाशित किया था। वही लकड़ी कारोबारियों द्वारा भी जिला पुलिस अधीक्षक और वन मंडल अधिकारी (DFO) को इस पूरे मामले की शिकायत दी गई थी। मामले की गंभीरता को समझते हुए वन मंडल अधिकारी आलोक कुमार बाजपेई ने संवेदनशीलता दिखाई और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके परिणामस्वरूप वनपाल मथुरा दुबे को धनवार जांच नाका से हटा दिया गया है।

फिलहाल मामले की विभागीय और पुलिस स्तर पर जांच जारी है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के दौरान जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई के बाद न केवल बलरामपुर बल्कि आसपास के जिलों में चल रहे अवैध कटाई और अंतर्राज्यीय लकड़ी परिवहन पर भी वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

अब देखना यह होगा कि जांच किस निष्कर्ष तक पहुंचती है और क्या इस कार्रवाई से वन माफिया के पूरे नेटवर्क पर प्रभावी अंकुश लग पाता है या नहीं।

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