सत्या राजपूत, रायपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का बड़ा असर हुआ है। राजधानी रायपुर के टिकरापारा स्थित गुडविल हॉस्पिटल में नवजात शिशु की संदिग्ध मौत के मामले में हमने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कार्यालय रायपुर ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है।


सात दिन में मांगी गई रिपोर्ट
CMHO कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार, जांच समिति में डॉ. एस.के. वोहरा, प्रभारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. अविनाश चतुर्वेदी नोडल नर्सिंग होम एक्ट, डॉ. निलय मोजरकर शिशु रोग विशेषज्ञ, समित अग्रवाल सलाहकार आयुष्मान भारत को शामिल किया गया है। यह जांच समिति सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जांच टीम नवजात की मौत के पीछे की परिस्थितियों की पड़ताल करेगी।
क्या है मामला
रायपुर के टिकरापारा स्थित गुडविल हॉस्पिटल में एक नवजात की संदिग्ध मौत के बाद परिजनों ने गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। परिजनों ने बताया कि वे आठ महीने की गर्भवती आकांक्षा जायसवाल की सामान्य जांच के लिए हॉस्पिटल आए थे। जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा, नहीं हुआ तो कुछ भी हो सकता है। इसके बाद रात करीब 9 से साढ़े नौ बजे के बीच ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद प्रीमैच्योर बेबी को निगरानी में रखने के बजाय सिर्फ कपड़े में लपेटकर हमें सौंप दिया गया। जब उन्होंने बच्चे की हालत पूछी तो बताया गया कि सब ठीक है बच्चा तंदुरुस्त है।
मृतक शिशु की बुआ ने बताया कि ऑपरेशन के बाद सभी डॉक्टर हॉस्पिटल से चले गए थे। हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर नहीं था। बार-बार नर्स को बोलने के बाद भी कोई डॉक्टर नहीं पहुंचे। शिशु रो रहा था लेकिन खुलकर आवाज़ नहीं आ रही थी, कुछ फंसा है ऐसा लग रहा था। कई बार हमने डॉक्टरों को बुलाया लेकिन कोई नहीं आया और लगभग 4 बजे बच्चे की मौत हो गई। हॉस्पिटल प्रबंधन की इतनी बड़ी लापरवाही है। ऑपरेशन हुआ है, बच्चा प्रीमैच्योर है, ऐसे में शिशु रोग विशेषज्ञ और प्रसूति एवं महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की तैनाती होनी चाहिए थी, जो नहीं थी।
साथ ही बताया कि जो नर्स ड्यूटी में तैनात थी, उन्होंने एक पाउडर लाया और उसे इंजेक्शन के माध्यम से शिशु को खिलाने को कहा। फिर उन्होंने नर्स से कहा कि आप करो, हमसे नहीं बनेगा, तो वह कहती रही, मुझे डर लगता है, मैं नहीं कर सकती।
वहीं मृतक शिशु की दादी ने हॉस्पिटल प्रबंधन और डॉक्टर-नर्स पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि छह साल बाद मेरी बहू मां बनी, उसको भी हॉस्पिटल प्रबंधन, डॉक्टर और नर्स ने मार दिया। ऐसा किसी और के साथ न हो, इसीलिए हॉस्पिटल, हॉस्पिटल प्रबंधन, ड्यूटी में रही नर्स और ड्यूटी से अनुपस्थित रहे डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
हॉस्पिटल प्रबंधन का बयान
डॉक्टर सत्यजीत साहू ने कहा मरीज शाम को आई थी जांच करने के बाद ऑपरेशन का सुझाव दिया गया. नौ साढ़े नौ के बीच में ऑपरेशन हुआ। स्वस्थ तंदुरुस्त बच्चे को प्रोटोकॉल के बाद परिजनों को हैंडओवर कर दिया गया। देर रात चार बजे के लगभग बच्चे का तबियत बिगड़ने की जानकारी मिली। डॉक्टरों ने ICU में भर्ती किया और इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। इंटेंसिव केयर में MBBS डॉक्टर अजय की ड्यूटी थी, स्त्री रोग विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं थे।
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