Gorakhpur News. गोरखपुर में परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई जुगाड़ से चलाए जाने का मामला सामने आया है. यहां के नगर क्षेत्र के विद्यालयों में एक भी शिक्षक नियमित नहीं है. इनपुट है कि यहां दूसरे विद्यालयों से संबद्ध शिक्षक पढ़ाई-लिखाई करवा रहे हैं. बताया यह भी जा रहा कि इस क्षेत्र में विद्यालयों की यह स्थिति दस साल से बनी हुई है.

जानकारी है कि इन स्कूलों में एक शिक्षक पर 76 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा है. जबकि बेसिक शिक्षा विभाग के मानकों के अनुसार, प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चों पर एक शिक्षक तो उच्च प्राथमिक में 35 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती का प्रावधान है. बावजूद इसके सिक्षकों के सेवानिवृत्त होने और ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में शिक्षकों के स्थानांतरण की कोई योजना न होने से नगर क्षेत्र के 59 विद्यालयों में अब शिक्षकों की संख्या 115 रह गई है. 11 परिषदीय विद्यालयों में तो कोई नियमित शिक्षक ही नहीं है. जैसे-तैसे अध्यापन का कार्य चल रहा है.

हालांकि, 51 शिक्षामित्र और एक अनुदेशक भी अध्यापन का कार्य कर रहे हैं. बशर्ते, मौजूदा व्यवस्ता के अंतर्गत बच्चों की पढ़ाई सीढे तौर पर प्रभावित हो रही है. तीन साल पहले ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों की कमोबेश स्थिति कुछ ऐसी ही थी. वहीं, 68 हजार 500 और 69 हजार शिक्षकों की भर्तीके अंतर्गत जिले को 1500 नए शिक्षक मिले हैं. इसके बाद जिले के 2504 परिषदीय स्कूलों में तैनात शिक्षकों की संख्या 9000 तक पहुंच गई है. प्राथमिक विद्यालय संघ के अध्यक्ष राजेश दुबे ने बताया कि नगर क्षेत्र के विद्यालयों में 10 साल पहले शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था. उसके बाद स्थानांतरण नहीं हुआ. जो शिक्षक तैनात हुए, वे धीरे-धीरे सेवानिृृत्त हो गए. शिक्षामित्र और अनुदेश न रहें तो पढ़ाई ठप हो जाएगी.

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प्राथमिक विद्यालय रायगंज कन्या, प्राथमिक विद्यालय डोमिनगढ़ द्वितीय, प्राथमिक विद्यालय झुंगिया, प्राथमिक विद्यालय अलीनगर, प्राथमिक विद्यालय असुरन प्राचीन, प्राथमिक विद्यालय झरनाटोला, प्राथमिक विद्यालय महादेव झारखंडी, प्राथमिक विद्यालय रेलवे बौलिया, प्राथमिक विद्यालय शास्त्रीनगर, प्राथमिक विद्यालय डोमिनगढ़ प्रथम, प्राथमिक विद्यालय भगवानपुर इत्यादि में नियमित शिक्षक नहीं हैं. बीएसए आरके सिंह ने कहा कि शासन स्तर पर ग्रामीण क्षेत्र में तैनात शिक्षकों को नगर क्षेत्र में लाने की कवायद चल रही है. दिशा-निर्देश का इंतजार है. जब तक शिक्षक नहीं मिल जाते हैं, तब तक स्कूलों में शिक्षकों को शिक्षक विहीन विद्यालयों से संबद्ध कर अध्यापन की व्यवस्ता उपलब्ध कराई जा रही है.

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