प्रदीप गुप्ता,कवर्धा. एक बार फिर से लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का बड़ा असर हुआ है. बेंगलुरु में बंधक बने संरक्षित बैगा जनजाति के 36 लोगों को सुरक्षित आज कवर्धा लाया गया है. चार महीने पहले पल्प नाम की जूस बनाने वाली कम्पनी ने इन सभी लोगों को 10 हजार रुपए वेतन देने का लालच देकर बेंगलुरु ले जाकर बंधक बना लिया था. इस मामले को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद एसपी उमेद सिंह ने टीम गठित कर बेंगलुरु रवाना किया, और आज 6 दिन बाद सभी सुरक्षित लाया गया है.

बंधक बने लोगों ने बयां किया दर्द

स्थानीय लोगों ने भी लल्लूराम डॉट कॉम को प्रमुखता प्रकाशित करने पर बधाई दी है. वहीं बंधक बने लोगों के मुताबिक उनका दर्द बेहद ही दर्दनाक था. काम के बदले इन लोगों को सिर्फ खाने के लिए ही दिया जाता था. वहीं महिलाओं को उसके बच्चों से दूर रखकर उनसे जबरदस्ती काम कराया जाता था. ऐसा नहीं करने पर ठेकेदार इनके साथ मारपीट करते थे. लेकिन आज ये राहत की सांस ले रहे है.

ठेकेदार मौके से हुआ फरार

बता दें कि कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लाक के वनांचल गांव अमनिया के दर्जनों बैगा जनजाति के लोगों ने कुछ दिन पहले जिला मुख्यालय पहुंचकर पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई थी, कि बेंगलुरु के जूस बनाने वाली कंपनी के ठेकेदारों ने 36 महिला पुरूश व बच्चों को चार महीने से जबरदस्ती बंधक बना रखा है. जिसके बाद गठित टीम ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर खोज शुरू की कर्नाटक में ही पहाडों से घिरे चिल्लूर में सभी बंधक मिले. जिन्हें एक बडे कंपाउंडर में रखा गया था. हालांकि कवर्धा से जांच टीम आने की सूचना मिलने पर पप्पू नाम का ठेकेदार वहां से फरार होने में कामयाब हो गया.

रेस्क्यू टीम ने काम का पूरा पैसा भी दिलवाया

इसी बीच काम के दौरान गांव की सजन बाई वहां से भागने कामयाब हो गई थी. जिसके बाद कवर्धा की रेस्क्यूटीम ने सभी को मुक्त कराया साथ ही इनके काम किए हुए पूरे 5 लाख 64 हजार भी कंपनी से दिलवाया गया. विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति के लोगों को इस तरह से काम की तलाश में पलायन करना शासन-प्रशासन के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. हालांकि मामले के बाद कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने पूरे मामले की फिर से जांच करने और सभी को रोजगार दिलाने की बात कहीं भी कही है.