रायपुर. म़ीडिया का प्रभाव निर्वाचन के दौरान लगातार बढ़ा है. ऐसे में इसके दुरूपयोग को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. एमसीएमसी के जरिए समाज में राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार के तरीकों पर नजर रखी जाती है. इसके लिए प्रत्येक जिले में इलेक्ट्राॅनिक मीडिया, सोशल मीडिया, प्रिन्ट मीडिया सेल का गठन किया जाए. इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में प्रसारित विज्ञापन बिना अधिप्रमाणन प्रसारित होने पर और संदिग्ध पेड न्यूज के प्रकरणों पर भी नियमानुसार कार्यवाही की जाए.

यह बात लोकसभा निर्वाचन की तैयारियों की कड़ी में गुरुवार आदर्श आचरण संहिता और मीडिया प्रमाणन तथा निगरानी समिति के जिला नोडल अधिकारियों के एक दिवसीय प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर ने कहा. इस दौरान मास्टर ट्रेनर तथा उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा, मास्टर ट्रेनर पुलक भट्टाचार्य, सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनीष मिश्रा एवं शारदा अग्रवाल ने एमसीसी तथा एमसीएमसी से संबंधित विभिन्न तकनीकी तथा व्यावहारिक पक्षों पर प्रकाश डाला.

मास्टर ट्रेनर श्रीकांत वर्मा तथा पुलक भट्टाचार्य ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन की घोषणा होते ही आदर्श आचरण संहिता लागू हो जाती है. इस स्थिति में प्रशासनिक अधिकारी निर्वाचन होने तक यह सुनिश्चित करें कि इस दौरान किसी भी शासकीय भवन, शासकीय मशीनरी का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए न हो. इस दौरान पैसे के बड़े पैमाने पर लेन-देन, जुलूस, राजनीतिक सभा, समारोह की रिकार्डिंग, आपत्तिजनक भाषा में राजनीतिक भाषण, वाहनों की अनाधिकृत आवाजाही, प्रचार सामग्री के परिवहन सहित अन्य विषय जो सीधे अथवा परोक्ष रूप से निर्वाचन गतिविधि के तहत संपन्न हो रही है, ऐसे सभी कार्यों पर आदर्श आचरण संहिता के तहत निगरानी रखें.

मास्टर ट्रेनर ने बताया कि निर्वाचन के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रचार-प्रसार के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन हो. एमसीएमसी समिति के पास पर्याप्त अधिकार है कि वो वातावरण को बिगाड़ने वाले प्रचार-प्रसार को रोक सके. आयोग के निर्देशों का अनुपालन नहीं करने वालों पर वैधानिक कार्रवाई का भी प्रावधान है. मीडिया के साथ समन्वय कर निर्वाचन की गतिविधियों से आम-जन को सजग किया जा सकता है. राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों को मीडिया का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग कराया जा सकता है.