कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। बढ़ते महिला अपराध से लड़ने अब सरकारें महिलाओं को सेल्फ डिफेंस सीखने के प्रति जागरूक कर रही है, लेकिन क्या आप जानते है मराठा वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के दौर में भी महिलाओं को सेल्फ डिफेंस के लिए तैयार कराया जाता था. उस युद्ध कौशल को मरदानी खेल कहा जाता है, जो आज भी जिंदा है.
सिंधिया रियासत के महाराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल जयविलास पैलेस में महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आए योद्धाओं ने मरदानी खेल से सभी को हैरत में डाल दिया है. इसमें एक महिला तीन तीन हमलावरों से अकेली युद्ध करती दिखाई दी. कहा जाता है कि मरदानी खेल से प्रशिक्षित महिला अकेली 10 हमलावरों का डटकर मुकाबला करने में सक्षम होती है.
मर्दानी खेल के प्रशिक्षक लखन जाधव कोल्हापुर ने बताया कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की युद्ध कला है. शिवाजी महाराज ने इस कला को अपने सैनिकों के साथ तैयार किया था. इस युद्ध कला में जरीपटका, तलवारबाजी, भाला और बाघ नख का इस्तेमाल होता है. सबसे खास बात यह है कि इस कला को सीखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से कई युवा भारत आते हैं.
मर्दानी खेल भारत के महाराष्ट्र प्रान्त का परम्परागत मार्शल आर्ट है. यह मराठों द्वारा सृजित एक शस्त्रों वाली युद्ध कला है. इस परम्परागत कला का अभ्यास मुख्यतः कोल्हापुर में किया जाता है. यह युद्ध कला महाराष्ट्र के पहाड़ी क्षेत्र के अनुकूल है, जहां यह उत्पन्न हुयी थी. इसमें तेज गतियाँ शामिल होती हैं. यह कला शस्त्रों विशेषकर तलवारों पर केन्द्रित है. इसमें लाठी-काठी, तलवार-ढाल, दाँडपट्टा आदि हथियारों का अभ्यास शामिल हैं. दोहरी पट्टा तलवार दाँडपट्टा का प्रयोग प्रमुख है. अन्य हथियारों में बाघनख, बिछवा आदि शामिल हैं. अभ्यास करने वाले परम्परागत सफेद-भगवा वेशभूषा पहनते हैं.
मर्दानी खेल का विकास मराठा काल लगभग 1650 से 1857 तक में हुआ. महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी ने मुगलों की विशाल सेना का मुकाबला करने के लिये छापामार (गुरिल्ला) युद्ध पद्धति शुरु की. इसी काल में पश्चिम भारत के पहाड़ी जंगलों में छापामार पद्धति से युद्द के लिये इस कला का विकास हुआ. शिवाजी स्वयं शस्त्र युद्ध में निपुण थे जिनमें तलवार, बाघनख, विछवा आदि शामिल थे. उनका पसन्दीदा हथियार भवानी नामक 4 फुट की तलवार थी जिसके हत्थे पर नुकीला सिरा था. किंवदंती के अनुसार यह तलवार उन्हें उनकी कुलदेवी तुलजा भवानी ने स्वयं प्रदान की थी.
मराठा 17वीं शताब्दी में शिवाजी राव भोसले, उनके भाई इकोजी और पुत्र शम्भाजी के नेतृत्व में प्रमुख ताकत बनकर उभरे. महाराष्ट्र के पहाड़ी भूगोल के चलते वे छापामार युद्ध में निपुण हो गये. मुगल शासकों द्वारा सेना के शाही सेनापति के रूप में वे 1720 से 1740 के बीच राज्यसत्ता के रक्षक बने रहे. 1751 तक पश्चिमी डेक्कन उनके कब्जे में आ गया तथा वे भारत में एक प्रमुख शक्ति बन गये. यह मर्दानी खेल युद्ध कला का स्वर्ण काल था. वर्तमान में इस खेल का अभ्यास मुख्यतः कोल्हापुर में ही सीमित है. इसमें पूरी तरह निपुण कुछ ही लोग रह गये हैं, लेकिन फिर भी लोग इस खेल के प्रति इतने आकर्षित है कि देश के साथ अब विदेश से भी लोग इसे सीखने आ रहे है.
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक