शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टरों को दिन-रात काम करना पड़ रहा है. इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है. प्रदेश में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है. डॉक्टरों के 5 हजार पद तो वहीं नर्सिंग स्टाफ के 16 हजार पद खाली हैं. वहीं प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टर के 800 से ज्यादा पद खाली है. ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे प्रदेश की जनता को अच्छी स्वास्थ्य मिल पाएगी.
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में अभी 16996 लोगों पर एक डॉक्टर की व्यवस्था है. जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए. वहीं प्रदेश में मेडिकल स्टाफ की कमी से बीते 9 साल में सरकारी अस्पतालों में 72 हजार नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है.
इसे भी पढ़ेंः एमपी के इस जिले में प्लास्टिक फैक्ट्री में गैस लीकेज, 5 मजदूरों की गई आंखों की रोशनी
आलम ये है कि सरकार के वैकेंसी निकालने के बावजूद भी कोई आने को तैयार नहीं है. बीते साल अप्रैल में मात्र 6 मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती हुई थी. लेकिन उनका भी समय पूरा होने से पहले हटा दिया गया.
इसे भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री जी ! क्या ऐसे निपटेंगे ब्लैक फंगस महामारी से, राजधानी में 3 दिनों से मरीजों को नहीं लगे इंजेक्शन
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक