चंडीगढ़। प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला रोकने की जिम्मेदारी ली है. आज पीएम की सुरक्षा में चूक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले एक रिकॉर्डेड कॉल सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के पास आई, जिसके बाद कई वकीलों ने दावा किया कि यह कॉल उन्हें मिली. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की है. वकीलों को आई रिकॉर्डिंग में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी का काफिला रोकने के लिए SFJ जिम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट पंजाब के किसानों और सिखों के खिलाफ मामलों में मोदी की मदद न करे. यह भी कहा गया कि 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के खिलाफ किसी भी दोषी को आज तक सजा नहीं मिली.

 

इंग्लैंड के नंबर से आए फोन कॉल्स

सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने कहा कि उनके पास भी यह कॉल आई थी. यह ऑटोमेटेड फोन कॉल इंग्लैंड के नंबर से आई थी. बता दें कि सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख अवतार सिंह पन्नू ने पीएम मोदी की रैली को संबोधित किए बिना वापस लौटने पर खुशी जताई थी. पन्नू ने कहा था कि तिरंगे वाले पीएम को पंजाब से वापस लौटा दिया गया. इसके बाद पंजाब में खालिस्तानी मुहिम की शुरुआत हो चुकी है. सिख फॉर जस्टिस खालिस्तान समर्थकों का संगठन है, जिस पर केंद्र सरकार ने पाबंदी लगा रखी है. पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो केंद्र सरकार ने भी यह मामला उठाया था कि इसमें सिख फॉर जस्टिस संगठन की भूमिका हो सकती है. पंजाब पुलिस को भेजे संदेश में भी सिख फॉर जस्टिस से जुड़े खतरे को लेकर आगाह किया गया था.

पीएम सुरक्षा उल्लंघन : सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया

 

इधर सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंधमारी की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल गठित करने पर सहमत हो गया है. मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली और जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि अदालत पीएम के सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करेगी. कोर्ट ने साथ ही केंद्र और पंजाब सरकार से अपनी-अपनी जांच आगे नहीं बढ़ाने को कहा है. पीठ ने कहा कि वह इस मामले में विस्तृत आदेश पारित करेगी. सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से प्रस्ताव दिया कि समिति के अन्य सदस्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) चंडीगढ़, महानिरीक्षक (आईजी) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), रजिस्ट्रार जनरल (पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय), और अतिरिक्त डीजीपी (सुरक्षा) पंजाब होंगे.