रायपुर. मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा वन विभाग की घोर लापरवाही के कारण मरवाही वनमंडल के भूखे प्यासे भालू भोजन पानी की तालाश में लगातार रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं. आये दिन भालुओ और इंसानों में खूनी संघर्ष हो रहा है, जिससे इस क्षेत्र के आम आदमी का जीवन संकट में पड़ गया है. इसके पूर्व भी ऎसी घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन वन विभाग सबक न लेते हुए कुम्भकरणी नींद सो रहा है।
 जोगी ने कहा वन्यजीव जंतुओं के संरक्षण के लिए कड़ा कानून बनाया गया है वहीं उनको सुरक्षा प्रदान करने को उच्चतम न्यायालय के द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किया गया है. एक चिड़िया के भी जीवन की जिम्मेदारी सरकार की होती है. वन्य जीव जन्तुओं के जनगणना औऱ उनके जीवन की सुरक्षा के लिए वन विभाग के पास करोड़ों का बजट है लेकिन रमन राज में इंसान और जानवर दोनों के जीवन का कोई मोल नही है. दोनों की जान खतरे में है और विभागीय अधिकारी मजे में हैं. इसके पूर्व भी मरवाही में हुए 1 भालू का शूटआउट और 2 इंसानों की मौत के बाद विधानसभा में जोगी ने प्रश्न किया था जिसके जवाब में तत्कालीन वनमंत्री जो खुद डॉ रमन सिंह थे उन्होंने भालू प्रभावित क्षेत्र में जामवन्त प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. जिसके लिए कैबिनेट से लगातार 5 सालों के लिए इस क्षेत्र में विभन्न कामों की स्वीकृति दी थी. जो वर्ष 2015 से वर्ष 2020 तक के लिए थी पर तकनीकी वजहों का हवाला देकर राशि स्वीकृति के बाद भी 3 वर्षो से अफसरशाही के मक्कड़जाल में फसने की वजह से ज़मीनी स्तर पर कोई काम नही करने दिया गया.
पहले घायल और मृतकों को त्वरित सहायता का प्रावधान था. जो अब ट्रेजरी के माध्यम से हो गया है. इसलिये इस मामले में भी स्थानीय अधिकारियों ने हजार दो हजार की तत्कालिक सहायता देकर पल्ला झाड़ लिया. जबकि ग्रामीण का 1 लाख से अधिक का नुकसान हुआ. जोगी ने कहा कि पूर्वानुसार तत्कालिक सहायता का प्रावधान किया जाए साथ ही 5 हजार तक की सहायता राशि रेंजर्स से, 10 हजार तक की सहायता राशि एसडीओ से तथा 25 हजार तक की सहायता राशि डीएफओ से व्यवस्था कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि वन विभाग की लापरवाही का खामियाजा जानवर और इंसान भुगत रहे हैं.