रायपुर। विधानसभा के विशेष सत्र में 126 वें संविधान संशोधन के अनुसमर्थन के प्रस्ताव का विपक्ष ने भी समर्थन किया है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने एससी-एसटी के आरक्षण को बढ़कर 10 साल किये जाने संविधान संशोधन संसद में पेश किया है. हम राज्य विधानसभा में इसका अनुसमर्थन कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि यह आरक्षण एससी-एसटी वर्ग को सिर्फ दस साल के लिए नहीं बल्कि सदा-सदा के लिए कर देना चाहिए. ये बार-बार भ्रम फैलाया जाता रहा है कि मोदी सरकार आरक्षण विरोधी है,लेकिन यह फैसला बताता है कि केंद्र की सरकार आरक्षण की पक्षधर है. आज मैं यहां डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को याद करना चाहता हूँ कि उन्होंने संविधान के जरिये उन्होंने मौलिक आधार दिए. संविधान सामाजिक न्याय का दस्तावेज है. लोकतंत्र में सभी समाज के सभी वर्गों की आवाज होनी चाहिए. इतिहास में लंबे समय तक एक वर्ग को अधिकारों से वंचित रखा गया था. इसलिए आज यह जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे वर्ग की आवाज समावेशी रूप से सामने आये. अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने 1999 में पृथक जनजाति मंत्रालय की स्थापना कर उस वर्ग को मज़बूती दी थी. इतिहास देखेंगे कि जब जब समाज विभाजित रहा है देश गुलामी में रहा है. भारत को मजबूत और सशक्त करना है तो सभी समाज को बराबरी का दर्जा देना जरूरी है. मोदी जी के नेतृत्व में ये देश ग्लोबल पावर बनेगा.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि संविधान बनने के दौरान भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि 10 वर्षों में असमानता दूर हो जाएगी लेकिन दुर्भाग्य है कि असमानता इतने वर्ष बाद भी खत्म नहीं हो पाई है. मैं ये कहता हूँ कि आने वाले दस वर्षों में ये तबका समान रूप से खड़ा हो जाए. 2030 के बाद हमें ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं लाया जाना चाहिए कि हम फिर से दस सालों के लिए आरक्षण दे. समाज को आने वाले दस सालों में सामाजिक-आर्थिक, शैक्षणिक समेत हर क्षेत्र में मजबूत किया जा सके जिससे भविष्य में ऐसा प्रस्ताव लाने की जरूरत ही ना पड़े.

उन्होंने कहा कि आर्टिकल 16 यदि आप पढ़े तो उसमें लिखा है कि सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा. जब इतने अधिकार दिए गए हैं तब भी बराबरी की स्थिति में अब तक क्यों नहीं आ सके हैं? 70 सालों में आखिर क्यों ये तबका बराबरी पर नहीं आ सका. इस दिशा में हमे सोचना चाहिए? हमारे सारे हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट देख लीजिये कितने जज एससी-एसटी के बन पाए हैं? इसलिए नहीं बन पाये है क्योंकि ज्ञान का स्तर वहां पहुँचने के अनुकूल नहीं माना जाता है. दस वर्षों में इस वर्ग को बराबरी पर लाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए. कुछ लोग कहते हैं कि एससी-एसटी को आरक्षण देने से गुणवत्ता प्रभावित हो जाएगी? देश की आजादी में आदिवासियों का, गरीबो का बड़ा योगदान है. ये मत कहिए कि बिना गुणवत्ता के हम ये सब पा रहे हैं.