नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार दृष्टिहीन शिक्षकों के लिए इंडिपेंडेंट एक्ससेबल वोटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा दिल्ली चुनाव में दृष्टिहीन शिक्षक इंडिपेंडेंट एक्ससेबल वोटिंग तकनीक का इस्तेमाल करेंगे. गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों और कॉलेजों में 100 से अधिक नेत्रहीन शिक्षक हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ के चुनाव 26 नवंबर को होने हैं. इस तकनीक को लागू करवाने में पिछले दो वर्षों से शिक्षकों के साथ संघर्ष कर रहे अनिरुद्ध कुमार सुधांशु ने बताया कि ये तकनीक काफी सरल है और इसके लिए एक कंप्यूटर में एक HTML पेज बनाया गया है, जो किसी इंटरनेट कनेक्शन से नहीं जुड़ा होगा. उसमें दो पेज होंगे. एक पेज डूटा अध्यक्ष पद के लिए होगा और दूसरा डूटा एग्जीक्यूटिव पद के उम्मीदवारों के लिए होगा. साउंड सिस्टम के माध्यम से इन नामों को सुना जा सकेगा. दोनों पेज पर उम्मीदवार के नामों के साथ एक चेक बॉक्स होगा, जिसमें टिक मार्क लगाना होगा और नंबर भरने होंगे. इसके बाद उसका प्रिंट लेकर उसे बैलेट बॉक्स में रखना होगा.

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दिल्ली विश्वविद्यालय में दृष्टिहीन शिक्षक लंबे समय से ये मांग कर रहे थे कि डूटा चुनाव में इंडिपेंडेंट एक्ससेबल वोटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाए. डूटा चुनाव से पहले चुनाव अधिकारी के साथ हुई मीटिंग में भी इंडिपेंडेंट एक्ससेबल वोटिंग तकनीक और नेत्रहीन शिक्षकों के लिए अलग से कमरे में वोटिंग की व्यवस्था कराने के लिए अनुरोध किया गया था. विश्वविद्यालय के सैकड़ों अन्य शिक्षकों ने भी इस मांग को जायज ठहराया था. इसके बाद चुनाव अधिकारी प्रोफेसर उज्‍ज्वल कुमार सिंह ने आश्वासन दिया था कि इस बार के डूटा चुनाव में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पूरी तरह से पारदर्शी होगा.

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नेत्रहीन शिक्षक वर्षों से इस तकनीक की मांग कर रहे थे और अब उनकी यह मांग मान ली गई है. वर्ष 2019-2021 के डूटा चुनाव में बहुत से कॉलेजों के blind teachers द्वारा चुनाव का बहिष्कार किया गया था, इस बार इस समस्या का समाधान डूटा और चुनाव अधिकारी द्वारा पहले ही कर लिया गया है. रामजस कॉलेज के हिंदी विभाग में दृष्टिहीन शिक्षक डॉ प्रीतम सिंह शर्मा ने बताया कि दो साल पहले डूटा चुनाव में 30-35 शिक्षकों ने चुनाव के दौरान आर्ट्स फैकल्टी बिल्डिंग में वोट डालने से मना कर दिया था और वहीं पर धरने पर बैठ गए थे. डॉ शर्मा का कहना है कि उनको वोट डालने का अधिकार तो है, लेकिन उनके वोट की प्राइवेसी नहीं है. इस सिस्टम में पूरी तरह से पारदर्शिता नहीं रहती, इसलिए इंडिपेंडेंट एक्सेसबल वोटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, ताकि हर शिक्षक अपने वोट का इस्तेमाल कर सके.

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उस समय सभी दृष्टिहीन शिक्षकों ने चुनाव अधिकारी से इस बारे में बात की थी. उस वक्त सभी ब्लाइंड टीचर्स को ये आश्वासन दिया गया था कि अगली बार यानी 2021-2023 के चुनाव में इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा. दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ हंसराज सुमन ने बताया है कि इस बार डूटा चुनाव से पहले डॉ एन सचिन, संभावना संस्था से जुड़े शिक्षकों ने डूटा एग्जीक्यूटिव में फैसला लेकर इस कमी को दूर कर लिया. वोट डालने संबंधी इस तकनीक का कैसे प्रयोग हो, इसके लिए तकनीक प्रयोग कार्यशाला रखी गई. इस सेमीनार में विभिन्न विभागों और कॉलेजों के लगभग 50 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया.

 

ब्लाइंड टीचरों में खुशी का माहौल, वोट की प्राइवेसी रहेगी सुरक्षित

कार्यशाला में भाग लेने वाले ब्लाइंड टीचरों में खुशी देखी गई. उन्होंने चुनाव अधिकारी प्रोफेसर उज्‍जवल कुमार सिंह और डूटा अध्यक्ष डॉ राजीव रे को धन्यवाद दिया. इस तकनीक के बारे में बात करते हुए दिव्यांग शिक्षकों के संगठन ‘संभावना’ के अध्यक्ष और डीयू में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ निखिल जैन ने बताया कि हम इस तकनीक के आ जाने से दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगे और हम अपने मनपसंद उम्मीदवार का चयन कर सकेंगे. मोतीलाल नेहरू कॉलेज में एडहॉक शिक्षक डॉ मोहंती ने बताया कि डूटा चुनाव में वोट डालने के लिए हमें अपने किसी साथी पर निर्भर रहना पड़ता था. वोटिंग के समय कोई व्यक्ति मिल गया, हमने किसे वोट किया है, उसने हमारे अनुसार वोट किया है या नहीं, ये शंका रहती थी. अब हमें सुनकर पता चल सकेगा कि हमने किसे वोट डाला है, अब हमें पता है कि हमारी वोट की प्राइवेसी सुरक्षित है.

 

इस बार डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए 4 उम्मीदवार

भारतीय दृष्टिहीन क्रिकेट टीम का हिस्सा और कप्तान रहे डॉ प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि ये तकनीक भारत सरकार और चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के अनुकूल है और हम सब इसका स्वागत करते हैं और समर्थन करते हैं. बता दें कि इस बार डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद के 4 उम्मीदवार हैं. इनमें डॉ एके भागी (दयालसिंह कॉलेज), डॉ आभा देव हबीब (मिरांडा हाउस), डॉ प्रेमचंद (आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज) और डॉ शबाना आजमी (जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज) शामिल हैं.

 

डूटा एग्जीक्यूटिव में 22 उम्मीदवार

वहीं डूटा एग्जीक्यूटिव में 22 उम्मीदवार हैं. वोटिंग के दौरान इन इन शिक्षकों को अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के लिए चेक बॉक्स में टिक करना होगा, जबकि डूटा एग्जीक्यूटिव के उम्मीदवारों के लिए चेक बॉक्स में नंबर भरने होंगे. इस तकनीक में सबसे अधिक योगदान नेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन और तमाम शिक्षकों का रहा है. इस तकनीक को लागू करवाने के लिए ब्लाइंड टीचर्स ने डूटा अध्यक्ष का आभार जताया. वहीं डॉ राजिब रे ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया और कहा कि ये एक लंबी मांग थी, जिसे हमने पूरा करने का प्रयास किया है. यह हमारा पहला प्रयास है और इसमें हमें कितनी कामयाबी मिलेगी, यह तो चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा. डॉ सुमन ने बताया कि उन्होंने कई दृष्टिहीन शिक्षकों से इस तकनीक के विषय में बात की. उन्होंने बताया है कि वे इंडिपेंडेंट एक्सेसबल वोटिंग तकनीक से बहुत खुश हैं, क्योंकि इससे वोटर और वोटिंग सिस्टम की पूरी पारदर्शिता बनी रहेगी. उनकी मांग माने जाने पर 26 नवम्बर को वे इस प्रक्रिया के माध्यम से अपने वोट का प्रयोग करेंगे.