रायपुर.  पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर के विभागों के बजट अनुदान मांग पर चर्चा शुरू होते ही उप नेता प्रतिपक्ष कवासी लखमा ने कहा- देश मे जो अधिकार केंद्र और राज्य सरकारों को नहीं है वह अधिकार पंचायत का है. केंद्र और राज्य सरकार ने पंचायतों के अधिकारों की धज्जियां उड़ा दी है. छत्तीसगढ़ सरकार ने कानून में दिए गए पंचायतों के अधिकारों की अनदेखी कर पंचायत के पैसों पर डाका डालने और लूटने का काम किया. मोबाइल टावर लगाने के नाम पर पंचायतों का पैसा निकाल लिया. पंचायतों का पैसा बड़े लोगों को नहीं मिल पाता था इसलिए सरकार ने मोबाइल टावर के जरिये इस पैसे को लेने की कोशिश की. छत्तीसगढ़ के सभी पंचायतों ने इसका जोरदार विरोध किया और सरकार को झुकना पड़ा. सरकार विरोध देखकर डर गई क्योंकि इस साल चुनाव है.

कवासी लखमा ने आगे कहा कि कमजोर वर्ग के लोग ही शिक्षाकर्मी बनते है. बड़े घरों के बच्चे शिक्षाकर्मी नहीं बनेंगे. गावों में पढ़ने वाला ही शिक्षाकर्मी बनता है और यह पंचायतीराज की ही देन है. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कहते हैं कि वहां के शिक्षाकर्मियों को समान वेतन-समान काम देंगे, लेकिन उन्हीं के पार्टी के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इतना अंतर कैसे करते हैं. क्यों हर बार शिक्षाकर्मियों को हड़ताल करनी पड़ती है. डॉ. रमन सिंह जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब शिक्षाकर्मियों के इस मांग का समर्थन करते थे. देश मे लोकतंत्र है हड़ताल किया जा सकता है लेकिन सबसे बेकार काम छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है.

भीमराम अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे बड़े-बड़े नेताओं ने कानून बनाया लेकिन ये कौन सा कानून है कि शिक्षाकर्मी नेता को रात एक बजे जेल से निकाला जाता है. उस वक़्त पूरा देश सोया था. मंत्री सोए थे. नरेंद्र मोदी भी सोए थे. उस वक़्त एसपी-कलेक्टर बंदूक की नोक पर वीरेंद्र दुबे को जेल से बाहर निकालकर लाये थे. ये कानून है या मजाक है. कोई नेता का बेटा, उद्योगपति का बेटा शिक्षाकर्मी नहीं है. इसलिए ऐसा किया जा रहा है. आखिर शिक्षाकर्मियों ने क्या मांगा. समान काम, समान वेतन जो आप लोगों ने लिखकर दिया था वहीं मांग रहे थे. वोट लेते समय सबके पास जाते है लेकिन हड़ताल पर बैठे शिक्षाकर्मियों को दौड़ा दौड़ा कर मारा. बजट भाषण में मंत्री ये घोषणा करे की शिक्षाकर्मियों को समान वेतन-समान काम देंगे. चर्चा के दौरान प्रेमप्रकाश पांडेय ने टिप्पणी करते हुए कहा- उप नेता प्रतिपक्ष बना दिया लेकिन मान्यता नहीं दे रहे. नेता प्रतिपक्ष ने कहा सदन में पांच लोग बैठे ये पांच पांडव है. आप लोगों के लिए यही काफी है.

कवासी लखमा ने आगे कहा कि इस देश मे कानून चलता है कि सत्ता चलता है या दादागिरी चलती है. एक साल का समय बचा है यदि आप लोग नहीं करेंगे तो कोई बात नहीं अगली बार हमारी सरकार बनेगी तो हम तो करेंगे ही. अच्छा होता कि आप लोग कर लेते.आपका नाम होता. मैं तो कांग्रेस पार्टी का एमएलए हूँ. जनता ने मुझे चुना है मेरी गलती नहीं है लेकिन मैं जब पंचायत मंत्री के बंगले जाता हूँ तो मिलते नहीं. मंत्रालय तो मंत्री जाते ही नहीं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आज तक सुकमा जिले में एक भी काम नहीं शुरू हुआ. सिर्फ इसलिए कि मैं कांग्रेस का एमएलए हूँ. जनता तो छत्तीसगढ़ की है. छत्तीसगढ़ की जनता के लिए तो सड़क बना सकते थे. पंचायत विभाग आम लोगों से जुड़ा विभाग है.

उन्होंने आगे कहा कि मनरेगा का कानून बना तो मोदी विरोध करते थे. अब चार साल से केंद्र में सत्ता में हैं तो फिर इसे क्यों नहीं बदलते. कांग्रेस देश की पहली सरकार थी जिन्होंने 100 दिन का काम देने का कानून बनाया था. छत्तीसगढ़ में आज लोग पलायन कर रहे हैं. मजदूरी का भुगतान नहीं दिया जा रहा. आंध्रप्रदेश, तेलंगाना में लगातार काम मिल रहा है. बस्तर के जिलों के लोग वहां क्यों जा रहे हैं. वहां मोदी की सरकार नहीं है. तो फिर वहां की सरकार काम क्यों दे रही है. छत्तीसगढ़ में लेबर लगातार पलायन कर रहे हैं. यहां लेबर को काम ही नहीं मिल रहा है. बस्तर में तो लोगों के पास काम ही नहीं है. बस्तर के आदिवासी आजादी के पहले कभी पलायन नहीं किया लेकिन आज सात सौ गांव खाली है. धीरे-धीरे बस्तर के लोग पलायन करेंगे तो क्या होगा बस्तर का.

मनरेगा के तहत यूपीए सरकार में 2600 करोड़ रूपये आता था, आज 1400 करोड़ रुपये आ रहा है. यदि बीजेपी सरकार को मोदी से मांगने में डर लगता है तो हम नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में जाएंगे मोदी के पास और कहेंगे कि छत्तीसगढ़ के साथ पक्षपात क्यों किया जा रहा है. बस्तर में फोर्स रहती है. वहां नक्सल घटना में जवान घायल रहते है तो फिर क्यों वहां के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर नहीं रहते.एक्स रे मशीन क्यों काम नहीं करती.