कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के सेना के सीएसडी कैंटीन को शराब लाइसेंस रिन्यू करने में देरी का मामला अब ईओडब्ल्यू (EOW) की जांच के दायरे में है. मामले में सहायक आयुक्त आबकारी समेत एक क्लर्क पर एफआईआर (FIR) के बाद उप सहायक आयुक्त को ईओडब्ल्यू ने तलब किया है. ईओडब्ल्यू ने शराब लाइसेंस से जुड़े दस्तावेजों की मांग की है.
दरअसल, 2 दिन पहले ही मामले में ईओडब्ल्यू ने सहायक आबकारी आयुक्त और उनके कार्यालय में पदस्थ क्लर्क के खिलाफ FIR दर्ज की थी. धारा 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सहायक आयुक्त आबकारी सत्यनारायण दुबे और क्लर्क विवेक उपाध्याय पर मुकदमा दर्ज किया गया है. तत्कालीन कलेक्टर के आवेदन के आधार पर लंबे समय से EOW मामले में छानबीन कर रहा था.
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शराब लाइसेंस रिन्यू करने की फाइल दबा कर समय पर लाइसेंस न जारी करने से शासन को करोड़ों का नुकसान हुआ था. आशंका है कि स्थानीय शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए समय पर सीएसडी कैंटीन का लाइसेंस रिन्यू नहीं किया गया. अब मामले में EOW ने संभागीय उड़नदस्ते के उपायुक्त केके दोहरे को तलब किया है. इसके साथ ही शराब लाइसेंस से जुड़े दस्तावेज भी मांगे हैं.
जानकारी के मुताबिक शराब लाइसेंस की फ़ाइल दबाने का आरोप था, जिसके बाद EOW ने बड़ी कार्रवाई की. 13 मार्च 2018 को लाइसेन्स के लिए आवेदन दिया गया था . 2018 से आबकारी सहायक आयुक्त एस एन दुबे ने फ़ाइल दबाकर रखी थी. एक महीने तक फ़ाइल दबाकर रखी गई.
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लाइसेंस न मिलने पर CSD ने निजी ठेकदारों से शराब खरीदी कर सप्लाई की. निजी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए साजिश रची गई थी. एक महीने में करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है. बता दें कि मध्य प्रदेश के 11 ज़िलों समेत छत्तीसगढ़ के ओर्डिंनेंस डिपो से शराब की सप्लाई होती थी. इसके लिए हर साल 31 मार्च को लाइसेंस रिन्यू करना होता है. 2018-19 में डिपो द्वारा निर्धारित समय पर लाइसेंस रिन्यू करने के लिए पत्राचार किया गया था, लेकिन उक्त फाइल को सहायक आबकारी आयुक्त सत्यनारायण दुबे और क्लर्क विवेक उपाध्याय दबा कर रखे हुए. ईओडब्ल्यू ने 2018-2019 में जारी किए गए शराब लाइसेंस से जुड़े सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं. वहीं सीएसडी डिपो के प्रबंधक और कलेक्ट्रेट को भी पत्र लिखकर लाइसेंस प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए हैं.
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