चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री पद के दावेदार के लिए चरणजीत सिंह चन्नी के नाम की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की घोषणा से पार्टी का मकसद ना केवल वहां बल्कि गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में दलित वोटरों को लुभाना है. कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में कोई खास जनाधार नहीं है, लेकिन ऐसा कर वह मायावती की बहुजन समाज पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. दलित समुदाय से जुड़े कांग्रेसी नेता इस बात से खुश हैं कि पार्टी ने एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जो दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे, उनका कहना है कि राहुल गांधी का पंजाब के मौजूदा सीएम चन्नी को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित करना कांग्रेस पार्टी द्वारा सामाजिक न्याय और दलितों के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है. मैं इस फैसले की सराहना करता हूं और उम्मीद करता हूं कि पंजाब के लोग इस ऐतिहासिक फैसले का समर्थन करेंगे.

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह भी अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं और राज्य में पार्टी के कद्दावर नेता रहे हैं, लेकिन उनकी अनदेखी की गई है. पंजाब में एक दलित मुख्यमंत्री के बाद कांग्रेस की नजर उत्तराखंड में है, लेकिन इस बात की संभावना नहीं है कि पार्टी को उत्तरप्रदेश में ज्यादा वोट मिलेंगे, क्योंकि राज्य में मायावती एक मजबूत ताकत हैं और गैर-जाटव दलितों ने ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस का मुकाबला पांच तरफा हो रहा है और चन्नी को राज्य का पहला दलित मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी की नजर यहां के 32 प्रतिशत दलित वोटरों पर है. चरणजीत सिंह चन्नी तीन बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं.

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राहुल गांधी की इस घोषणा के बाद चरणजीत चन्नी ने कहा कि मैं कांग्रेस आलाकमान और पंजाब के लोगों को मुझ पर भरोसा करने के लिए दिल से धन्यवाद देता हूं. जैसा कि आपने हमें पिछले 111 दिनों में पंजाब को आगे ले जाने के लिए इतनी मेहनत करते देखा है, मैं आपको पंजाब को आगे ले जाने का आश्वासन देता हूं. पंजाबी नए जोश और समर्पण के साथ प्रगति के पथ पर हैं, लेकिन कांग्रेस की राजनीति सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है. पार्टी उत्तराखंड में अधिक से अधिक जनाधार हासिल करना चाहती है और बसपा सुप्रीमो मायावती से नाराज तबके को भी अपने पाले में करना चाहती है. कांग्रेस पहले ही उन लोगों को टिकट बांट चुकी हैं जो निचले तबके के हैं या पीड़ित रह चुके हैं.

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इस रणनीति के साथ कांग्रेस अपने पारंपरिक मतदाताओं अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और ब्राह्मण को वापस लाने की कोशिश कर रही है, जो राज्य में तीन पार्टियों में बिखरे हुए हैं. लोकसभा में सबसे ज्यादा सांसद भेजने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सिर्फ एक सांसद है, जबकि 2009 में उसके पास सबसे अधिक 23 सांसद थे. एक जमाने में कांग्रेस यहां नंबर एक पार्टी थी, लेकिन बाद में वह बिखरती चली गई और उसकी स्थिति खराब होती गई.