यत्नेश सेन, देपालपुर (इंदौर) दीपावली के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के गौतमपुरा में परंपरा के नाम पर खेले जाने वाला कलंगी व तुर्रा दल के बीच हिंगोट युद्ध जमकर खेला गया। करीब डेढ़ घंटे तक खेले गए इस आयोजन को देखने इंदौर, उज्जैन समेत प्रदेशभर से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। 

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बता दें कि भारतवर्ष में गौतमपुरा एक ऐसी जगह है जहां सिर्फ इस युद्ध को खेला जाता है। आज खेले गए इस अनूठे युद्ध में करीब 30 से ज्यादा योद्धा घायल हुए। वहीं आचार संहिता के चलते राजनीतिक मंच नहीं लगने से जहां दर्शकों को युद्ध देखने के लिए काफी जगह मिली। वहीं पुलिस प्रशासन ने नगरीय प्रशासन के साथ मिलकर 10 फीट ऊंची जाली लगाई जिस वजह से बाहर दर्शक दीर्घा में इस युद्ध को देखने वाले किसी भी दर्शक को चोट नहीं आई। 

वहीं युद्ध मैदान में सुरक्षा को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा करीब 350 से अधिक पुलिस जवान को सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रखा गया था। इस दौरान पुलिस के आला अधिकारी भी डटे रहे। युद्ध खेलने वाले योध्दा सजधजकर मैदान में पहुंचे थे।

क्या है हिंगोट

हिंगोट हिंगोरिया नामक पेड़ का फल है। जिसे यहां के नागरिक जंगल से तोड़कर लाते है। नींबू आकारनुमा फल जो ऊपर से नारियल के जैसा कठोर और अंदर गुदे से भरा हुआ होता है। जिसे ऊपर से साफ कर एक छोर पर बारीक और दूसरे  छोर पर बड़ा छेद कर उसके अंदर बारूद भरकर दो दिन तक धूप मे रखने के बाद हिंगोट युद्ध के लिए तैयार किया जाता है। फिर हिंगोट युद्ध के दिन तुर्रा व कलंगी दल के योद्धा सिर पर साफा, कंधे पर हिंगोट से भरे झोले, हाथ मे ढाल और जलती लकड़ी लेकर हिंगोट युद्ध मैदान की ओर नाचते गाते निकल पड़ते हैं।

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