रोहित कश्यप,मुंगेली. छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू हो गई है मगर मुंगेली जिले के धान खरीदी केंद्रों में धान का आवक बहुत ही धीमा है हालात यह है कि कई केंद्रों में तो धान खरीदी की बोहनी भी नहीं हुई है. कुछ किसान जहाँ अभी धान काटने में लगे है तो वहीं कुछ को चुनाव परिणाम का इंतजार है.

दरअसल विधानसभा चुनाव में किसानों को रिझाने के लिए राजनैतिक पार्टियों ने तरह-तरह के वादे और दावे किए हैं. जिसके बाद से किसान असमंजस की स्थिति में नजर आ रहे हैं. एक ओर जहां कांग्रेस ने अपनी चुनावी घोषणा में उनकी सरकार बनने पर 25 सौ रुपये धान का समर्थन मूल्य और किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया है, तो वहीं जोगी कांग्रेस ने भी चुनावी घोषणा पत्र में शपथ पत्र के साथ उनकी सरकार बनने पर धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये देने का लोकलुभावन वादा किया है. इन्ही सब वायदे और दावों को लेकर किसान असमंजस की स्थिति में है और अभी खरीदी केंद्रों का रुख करने से गुरेज कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि हम अगर अभी धान भेजते हैं तो बैंक में कर्ज की राशि काट ली जाएगी और पुराने रेट पर धान की कीमत मिलेगी. इसलिए हमें चुनाव परिणाम का इंतजार है परिणाम आने के बाद ही धान बेचेंगे.

धान खरीदी केंद्रों में पसरा सन्नाटा और किसानों के आने का बाट जोहते धान खरीदी केंद्र के अधिकारी कर्मचारी भी अब इस बात को भली-भांति समझ चुके हैं कि किसान चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि धान खरीदी केंद्रों में किसान जानकारी लेने जरूर पहुंच रहे हैं, मगर जानकारी लेकर वापस लौट जा रहे हैं वहीं इस बार धान की चोरी रोकने के लिए हमालों से अनुबंध लिया गया है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि 40 किलो से अधिक धान लिया गया तो उनकी भरपाई हमाल ही करेंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस और जोगी कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने का जो दावे किए हैं. वह किसानों को रिझाने में कितना कारगर साबित होता है यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा. लेकिन धान बेचने को लेकर जिस तरह से किसान चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे है ये जरूर दिलचस्प बात है. वहीं अगर कांग्रेस या जोगी कांग्रेस की सरकार बन भी जाती है तो धान का समर्थन मूल्य कैसे बढ़ेगा ये भी देखने वाली बात होगी, क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है.