सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए नई शिक्षा नीति 2020 लागू की जा रही है. इसके लिए प्रत्येक शिक्षकों की साल भर में 50 घंटे की ट्रेनिंग होगी, इसके पहले पहले 25 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती थी. इसे भी पढ़ें : loksabha Election 2024 : दूसरे चरण के मतदान पर नक्सलियों का साया, बंद के आह्वान का दिख रहा छिटपुट असर

अपर संचालक शिक्षा जेपी रथ ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में बताया कि गुणात्मक सुधार के लिए नई शिक्षा नीति 2020 में सभी स्कूलों के सभी शिक्षकों 50 घंटे के ट्रेनिंग प्रोगाम में शामिल करना अनिवार्य किया गया है. इसमें शिक्षक द्वारा शासन के विभिन्न जरूरी कार्यों में दिए गए रचनात्मक समय को भी जोड़ा जा सकेगा, ताकि वह अधिक उत्साह से नवाचार और गुणवत्ता के लिए योगदान दे सके. नई नीति में यह उनकी पदोन्नति का भी आधार बन सकेगा. सीपीडी (सतत् व्यावसायिक प्रशिक्षण) के लागू होने से टीचर्स के एजुकेशन क्वालिटी में सुधार हो सकेगा व बच्चों तक गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध हो सकेगा.

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ऑनलाइन रिकार्ड होगा तैयार

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद इसे अनिवार्य किया है. इसके पहले सभी स्कूलों के लिए 25 घंटे के ट्रेनिंग कोर्स चलाया जाता था, जो अक्सर अधिकतर स्कूल फॉलो नहीं करते थे. अब ट्रेनिंग का ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार होगा, जिससे भागीदारी करने वाले स्कूलों की डिटेल मिलती रहेगी. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत हर स्कूल के टीचर्स को इसमें भागीदारी करना जरूरी होगा. सीबीएसई द्वारा भी एनआईपी के अनुसार यही प्रक्रिया अपनायी जा रही है.

नई शिक्षा नीति पर डाला प्रकाश

राष्ट्रीय स्तर पर सीपीडी योजना के विशेषज्ञ व एनसीईआरटी के समन्वयक डॉ. जितेन्द्र पाटीदार द्वारा विस्तार से शिक्षक प्रशिक्षण का इतिहास व वर्तमान नई शिक्षा नीति में आये बदलाव पर प्रकाश डाला गया. पाटीदार द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण की जवाबदेही, 50 घंटे का सी.पी.डी. प्रशिक्षण के अनिवार्य प्रावधान को परिभाषित किया कि शिक्षक को सीखने और अपने पेशे में नवीनतम शैक्षिक नवाचारों को अपने पठन-पाठन में कैसे शामिल कर सकेंगे और स्वयं अपनी भूमिका में सतत् सुधार कर दक्षता हासिल कर सकेंगे.

प्रशिक्षण में स्थानीयता को वरीयता

सी.पी.डी. में प्रमुख क्षेत्रों के विषय के साथ कला एकीकृत, खेल कहानी आधारित जैसे-नवीनतम शिक्षण शास्त्र को भी शामिल किया जाना होगा. 50 घंटे का यह सी.पी.डी. प्रशिक्षण ऑनलाइन, ऑफलाइन, कैफेटेरिया मोड में उनके पाठ्यक्रम के अनुसार दिया जाएगा. स्थानीयता को प्रशिक्षण में वरीयता दिया जाएगा. 50 घंटे की सी.पी.डी.की ट्रेकिंग करने हेतु प्रत्येक शिक्षकों का ई-पोर्टफोलियो बनाना होगा जिसमें वे अपने प्रशिक्षण पूर्ण किये जाने वाले सर्टिफिकेट को अपलोड करेंगे. जिससे हर वर्ष सतत रूप से उनके कौशल का विश्लेषण तथा उनके कार्य का आकलन किया जा सकेगा.

सीएमपी में जुड़ेगा ई-पोर्टफोलियो

ई-पोर्टफोलियो को आने वाले समय में उनके कैरियर प्रबंधन और प्रगति सी.एम.पी. और एन.पी.एस.टी. (राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक) से भी जोड़ा जाएगा. ई-पोर्टफोलियो का मूल्यांकन सत्र के अंत में एक अधिसूचित प्राधिकारिक/प्रमुख द्वारा किया जायेगा. जो कि कोई प्राचार्य, प्रधान पाठक, बी.आर.सी., सी.आर.सी, डाइट, सी.टी.ई. एंव आई.ए.एस.ई. के विभिन्न तीन सदस्यीय समिति हो सकती है.

2030 तक लागू करने की कवायद

राज्य में इन चरणबद्ध कार्यों को अमलीजामा पहनाने के लिए एस.सी.ई.आर.टी,रायपुर द्वारा प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया जाएगा, साथ ही पायलट स्टडी कराया जाएगा, ताकि इसे राज्य में 2030 तक लागू किया जा सके. चूंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार जो भी प्रशिक्षण दिया जाना है. उसमें अनुभावनात्मक एवं प्रयोगात्मक शिक्षण का समावेश अनिवार्य है इसलिए इस हेतु सही स्रोत व्यक्ति की तैयारी/चिन्हांकन करना आवश्यक होगा तथा प्रशिक्षण में हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग, मॉड्यूल, टीचिंग लर्निंग मटेरियल इत्यादि तैयार करना होगा.

तय होंगे आंकलन के तरीके

सी.पी.डी. में आंकलन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अलग-अलग प्रशिक्षण स्तर के लिए आंकलन के क्या मैकेनिज्म होंगे ये भी तय किया जाएगा. एससीईआरटी द्वारा प्रोजेक्ट वर्क, असाईनमेंट ऑनलाइन कोर्स मटेरियल भी डिजाइन किए जाने की दिशा में काम किया जाएगा.

डॉ. पाटीदार ने परिचर्चा के दौरान यह भी जानकारी दी कि 50 घंटे की सी.पी.डी. हेतु राज्य सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी करना होगा ताकि सभी शिक्षक अनिवार्य रूप से अपना-अपना सी.पी.डी. सम्पूर्ण करें. डॉ. पाटीदार ने उपस्थित सदस्यों के विभिन्न सवालों का भी जवाब दिया, श्रीमती पुष्पा किस्पोट्टा मेडम ने वर्चुअल मीटिंग द्वारा सदस्यों का सी.पी.डी. पर उन्मुखीकरण कराने के लिए उन्हें आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. दीपा दास ने किया. इस वर्चुअल प्रशिक्षण में सभी शिक्षक शिक्षा संस्थानों डाइट, सीटीई. आई.ए.एस.ई., संचालनालय, समग्र शिक्षा के अधिकारियों तथा कई प्राचार्यों ने भी भाग लिया.