सत्यपाल राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में उपकुलसचिव शैलेंद्र कुमार पटेल की योग्यता और अनुभव संबंधी दस्तावेजो में फर्जीवाड़े का मामला फिर से गरमा गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस मामले में शासन प्रशासन की विफलता पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया है. कार्रवाई की मांग को लेकर कुलपति ऑफिस के सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठ गए हैं.
हड़तालियों ने बताया कि शैलेंद्र पटेल की पीएचडी और एमफिल डिग्रियां संदिग्ध पाई गई हैं. सीवी रमन यूनिवर्सिटी, बिलासपुर से गणित विषय में 5 फरवरी 2013 से 5 फरवरी 2015 के बीच पीएचडी करने का दावा करने वाले पटेल ने इस दौरान रायपुर के भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहने का भी दावा किया है, जो कि भौतिक रूप से असंभव है. साथ ही, पटेल ने विनायक मिशन यूनिवर्सिटी, सालेम से 2007-08 में एमफिल की डिग्री ली, जो कि जांच समिति की जांच में भी अवैध पाई गई है.
ये चौथी बार है, जब जांच समिति की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर फिर से जांच के आदेश दिए गए हैं. इससे स्पष्ट है कि शासन निर्णय लेने में पूरी तरह से विफल रहा है. एबीवीपी रायपुर महानगर मंत्री, प्रथम राव फुटाने ने कहा अगर उपकुलसचिव पटेल को तुरंत पद से नहीं हटाया गया, तो विद्यार्थी परिषद उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी
एबीवीपी के महानगर मंत्री प्रथम राव फुटाने ने इस मुद्दे पर आक्रोश जताते हुए कहा, “इस तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बार-बार जांच के नाम पर मामले को दबाने का प्रयास हो रहा है, जिसे हम किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे”,
एबीवीपी प्रदेश मंत्री यज्ञदत्त वर्मा ने भी कड़े शब्दों में कहा, “यह केवल एक विश्वविद्यालय की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर प्रश्नचिन्ह है. इस भ्रष्टाचार का समूल नाश करना आवश्यक है, नहीं तो हम निर्णायक आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे “
विद्यार्थी परिषद का स्पष्ट संदेश है कि यदि शासन-प्रशासन इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करता है, तो फिलहाल हम अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो एबीवीपी सड़कों पर उतरकर इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी.
वहीं इस मामले में विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव डॉ शैलेंद्र कुमार पटेल ने बताया कि जो आधार बताए जा रहे हैं, वे बेबुनियाद है. मामला कोर्ट में है. कोर्ट का फैसला आना बाकी है. सरकारी दस्तावेज, गोपनीय दस्तावेज, सोशल मीडिया में वायरल किया जा रहा है. आरटीआई से भी ये दस्तावेज नहीं निकाला गया है.
इस मामले को लेकर उच्च शिक्षा सचिव प्रसन्ना आर ने कहा कि दो बार मामले की जांच हुई है. जांच में शिकायत सही पाई गई है. मामला कोर्ट में है, सुनवाई के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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