चंकी बाजपेयी, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित सेंट्रल जेल से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 बंदी रिहा हुए। इन बंदियों को जेल में किए गए कार्यों के पारिश्रमिक के रूप में नगद राशि जेल प्रशासन द्वारा भेंट की गई। इनमें से अधिकांश बंदी गंभीर अपराधों, जैसे हत्या, के मामलों में बंद थे। उनकी रिहाई की खुशी उनके चेहरों पर साफ झलकी, हालांकि अपराध के लिए पछतावा भी देखा गया।

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इस बार, रिहाई के दिन परिजन भी जेल पहुंचे, जिनके चेहरे पर खुशी के आंसू देखे गए। जेल प्रशासन ने इन बंदियों को ढोल-नगाड़े बजाकर और मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दीं। इसके साथ ही भविष्य में कोई अपराध न करने की शपथ भी दिलाई गई।

जेल के अंदर रहते हुए बंदियों ने विभिन्न प्रकार के काम किए, जैसे फर्नीचर की कारीगरी और कटोरी-चम्मच बनाने का काम। इस दौरान अर्जित राशि को उनकी रिहाई के समय उन्हें भेंट किया गया। कुल मिलाकर, 15 बंदियों ने जेल से बाहर निकलते समय लगभग दो लाख रुपये प्राप्त किए। एक बंदी को 48,000 रुपये मिले, जिसने जेल में रहते हुए फर्नीचर बनाया था।

रिहा हुए बंदियों ने अपने अपराधों के लिए पछतावे की बात की और भविष्य में अपराध न करने का संकल्प लिया। खासतौर पर, एक बंदी, जिसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी, ने कहा कि उसकी पत्नी ने शंका के कारण आत्महत्या की और उसके बाद उसे दोषी ठहराया गया। उसने अपनी सजा का पश्चाताप किया और अब नये जीवन की शुरुआत करने की बात की।

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