अमित पवार, बैतूल. देश में इन दिनों इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये राजनैतिक दलों को मिले भारी भरकम चंदे पर बहस जारी है. वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जो छोटे-मोटे चंदे से जमा की गई राशि लेकर चुनाव लड़ने की फीस जुटा रहे हैं. ऐसा ही एक नज़ारा बैतूल कलेक्ट्रेट कार्यालय में दिखा, जब नामांकन के आखिरी दिन एक निर्दलीय प्रत्याशी एक और दो रुपये के सिक्कों से भरा झोला लेकर नामांकन करने पहुंचा. जमानत के तौर पर प्रत्याशी को 12 हजार 500 रुपये जमा करने थे जो उसने चिल्लर के रूप में जमा किये.

बैतूल के जिला निर्वाचन कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी कर्मचारियों के होश तब उड़े, जब सुभाष बारस्कर नाम का एक निर्दलीय उम्मीदवार जमानत राशि के तौर पर 12 हजार 500 रुपये लेकर पहुंचा. ये रकम एक और दो रुपये के सिक्कों के रूप में थी, जिसे गिनते गिनते कर्मचारियों के पसीने छूट गए. सुभाष के मुताबिक ये राशि उसने लोगों से चंदा मांगकर जमा की है. हर एक सिक्का एक व्यक्ति का समर्थन है.

सुभाष पेशे से एक मजदूर हैं और पहले भी इसी तरह ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा तक का चुनाव लड़ चुके हैं. । हर चुनाव में वो इसी तरह से लोगों चंदा मांगकर चुनाव की अमानत राशि जमा करते हैं. वहीं चुनाव लड़ने के लिए दोस्तों से मदद लेते हैं. सुभाष को उम्मीद है कि वो कभी तो चुनाव जीतेंगे और अपने स्तर पर कुछ परिवर्तन लाएंगे.

इस बार लोकसभा चुनाव में इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये राजनैतिक दलों को मिले चंदे का मुद्दा गर्माया हुआ है. फर्क ये है कि बड़े राजनैतिक दलों को चंदा लाखो करोड़ों में मिला है जबकि सुभाष चिल्लर जमा करके फीस जमा कर रहे हैं. हालांकि इस मुद्दे पर निर्वाचन अधिकारियों ने बयान देने से इनकार कर दिया लेकिन इतना ज़रूर कहा कि भारतीय मुद्रा किसी भी रूप में जमा की जा सकती है ये बात और है कि एक और दो रुपये के सिक्के गिनने में थोड़ा वक्त ज़ाया होता है लेकिन ये लोकतंत्र है जहां सब नियमों के अनुसार इसे जायज माना जाएगा.

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