लेह। भारत और चीन विदेश मंत्रियों की रुस में मुलाकात के बाद सीमा पर करीबन पखवाड़े भर से शांति बनी हुई है. लेकिन यह ऊपरी शांति है. अंदरखाने में भारत ने चीनी सेना के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए अपनी तैयारी में जुटी हुई है. इस कड़ी में सेना ने अपने दो मुख्य युद्धक टैंक टी-90 और टी-72 मोर्चे पर उतार दिए हैं.

वास्तविक नियंत्रण रेखा में अपनी सीमा को लांघने के बाद चीनी सेना तमाम वार्ताओं के बाद भी अब पूरी तरह से पीछे हटने को तैयार नजर नहीं आ रही है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि शीतकाल में भी भारतीय सेना को चीनी सैनिकों की गतिविधियों को लेकर सतर्क रहना होगा. ऐसी स्थिति को देखते हुए भारतीय सेना ने तैयारी शुरू कर दी है. इसमें सरहदी गांवों को खाली कराने के साथ, जवानों के लिए रसद पहुंचाने और ठंड के दिनों में सुरक्षित रहने के लिए टैंट की व्यवस्था की गई है.

इन तैयारियों के बीच भारतीय सेना ने युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए पूर्वी लद्दाख में चुमार-डेमचोक क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मुख्य युद्धक टैंकों टी-90 और टी-72 के अलावा बीएमपी-2 इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल को तैनात कर दिया है. जानकारों के अनुसार, ये टैंक और इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल माइनस 40 डिग्री में भी काम कर सकते हैं. ऐसे में सर्दी के दिनों में चीन को माकूल जवाब देने की पूरी तैयारी है.

चीफ ऑफ स्टाफ 14 कोर के मेजर जनरल अरविंद कपूर ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में बताया कि इन (लद्दाख) जगहों पर फायर और फ्यूरी कोर ही भारतीय सेना और दुनिया का इकलौता फार्मेशन है. टैंक,इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल और भारी गनों का मेंटनेंस ऐसी जगह पर चुनौती होती है.