नई दिल्ली. भारत में कोरोना के केस जितने नहीं है उससे ज्यादा मिर्गी के 1.5 करोड़ या इससे ज्यादा मामले सामने आए हैं, जो किसी छिपी हुई महामारी से कम नहीं है. यह जानकारी एम्स दिल्ली के न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. शरत चंद्र ने दी है. उन्होंने रेखांकित किया कि मिर्गी सबसे न्यूरोलॉजिक्ल विकारों में से एक है.

दुनिया भर में 6.5 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं. लोगों में जागरुकता की कमी के कारण मिर्गी को लेकर गलत घारणा है. मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों को शिक्षा, रोजगार और शादी के लिए भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

2005 में मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति विनय जानी ने शुक्रवार को 1000 किलोमीटर साइकिल चलाने के लिए तैयार किया, जिसे 75 घंटे के भीतर पूरा करने की उम्मीद है.

एम्स में न्यूरोलॉजी प्रोफेसर डॉ मंजरी त्रिपाठी ने कहा, मिर्गी केवल एक बीमारी ही नहीं है, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है. इसके ज्यादा प्रसार के बावजूद, भारत में मिर्गी के बारे में जागरुकता की बहुत कमी है.

डॉ. चंद्रा ने कहा कि मिर्गी के बारे में मुखर न होना भारत में इस आम बीमारी के इलाज की खाई को बड़ा करने वाले महत्वपूर्ण कारण है. राष्ट्रीय आंकड़ों की सूची में हर साल मिर्गी के लगभग 2 लाख पीड़ित जुड़ते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में मिर्गी का कोई बड़े पैमाने पर अध्ययन नहीं हुआ है. भारत में मिर्गी की स्थिति को समझने के लिए हम दुनिया के आंकड़ों पर निर्भर हैं.