दिल्ली. जब भी भारत-पाकिस्तान के बीच कोई मैच होता है, तो दुनियाभर के क्रिकेट फैंस को बेसब्री से इसका इंतजार रहता है. टी20 वर्ल्ड कप में भारत अपने अभियान की शुरुआत चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले से किया, लेकिन अफसोस भारत को इस मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा.
भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मैच को सिर्फ खेल ही नहीं भावनात्मक दृष्टि से भी देखा जाता है. ऐसे में दोनों टीमें जब मैदान पर भिड़ती हैं, तो हर हाल में जीत हासिल करने के लिए खेलती हैं. दोनों पड़ोसी देशों के बीच एक से बढ़कर एक दिलचस्प मुकाबले हुए हैं. लेकिन कुछ ऐसे मुकाबले भी हुए जहां खिलाड़ियों को अपना आपा खोते देखा गया. वहीं, कुछ मौकों पर अंपायरों का रोल भी संदेह के घेरे में रहा है.
बिशन सिंह बेदी ने विरोध में छोड़ा मैच
3 नवंबर 1978 को पाकिस्तान के शाहीवाल के जफर अली स्टेडियम में भारत-पाक वनडे सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच खेला गया था. पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 40 ओवर में 205/7 रन बनाए थे. जवाब में भारत टीम 37 ओवरों में 183/2 रन बनाकर जीत की तरफ बढ़ रही थी. पाकिस्तानी कप्तान मुश्ताक मोहम्मद ने 38वें ओवर के लिए सरफराज नवाज को गेंद थमाई. नवाज ने उस ओवर में अंशुमन गायकवाड़ को लगातार चार बांउसर गेंद फेंके, लेकिन अंपायर ने एक भी बॉल को वाइड नहीं दिया.
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उन दिनों बाउंसर गेंद को लेकर वाइड का नियम भी उतना सख्त नहीं था. भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी मैच जीतने के लिए पाकिस्तानी चाल को महसूस कर चुके थे. बेदी ने अपने बल्लेबाजों को अंदर बुला लिया और मैच पाकिस्तान को सौंप दिया. इससे दोनों टीमों के रिश्तों में खटास पैदा हो गई थी. वनडे इंटरनेशनल में यह पहला मौका था, जब किसी कप्तान ने बईमानी पर उतारू विरोधी टीम को गुस्से में जीत दे दिया हो.
खराब रोशनी के बावजूद खेल चलता रहा
1991 में भारत, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच विल्स ट्रॉफी का आयोजन हुआ था. 6ठे और आखिरी ग्रुप मैच में पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में 257/7 रन बनाए. लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने अच्छी शुरुआत की, लेकिन मिडिल ओवर्स में भारतीय पारी लड़खड़ा गई. इसके बाद सचिन तेंदुलकर भारत के बचाव में आए और मनोज प्रभाकर के साथ उनकी साझेदारी ने भारत की वापसी कराई.
हालांकि उन दिनों शारजाह में फ्लडलाइट्स की सुविधा नहीं थी. रोशनी भी इतनी खराब थी कि बल्लेबाजों को गेंद खेलने में दिक्कत हो रही थी. यहां तक कि टेलीविजन स्क्रीन पर भी दर्शक गेंद को देखने के लिए जद्दोजहद करते रहे. अंपायरों ने भी खराब रोशनी के बावजूद खेल को जारी रखा. नतीजतन भारत को अंत में चार रनों से हार झेलनी पड़ी थी.
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जब मेढक की तरह उछलने लगे मियांदाद
1992 विश्व कप में भारत और पाकिस्तान के बीच सिडनी में खेला गया मुकाबला आज भी लोगों के जेहन में है. उस मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 217 रनों का लक्ष्य दिया था. जवाब में पाकिस्तान ने एक वक्त दो विकेट पर 85 रन बना लिए थे. फिर सचिन तेंदुलकर की एक गेंद पर किरण मोरे ने मियांदाद के खिलाफ काफी देर तक कैच आउट की अपील की, जिससे मियांदाद को गुस्सा आ गया.
इसके बाद मियांदाद ने तेंदुलकर के उस ओवर में मिड ऑफ पर गेंद को खेल रन लेने का प्रयास किया, लेकिन खतरे को भांपते हुए क्रीज में लौट आए. इसी बीच मोरे ने भी स्ट्राइकर एंड पर गिल्लियां बिखेर दीं. इससे मियांदाद आपा खो बैठे और विकेट के सामने मेढक की तरह उछलने लगे. अंत में भारत ने यह मुकाबला 43 रनों से जीत लिया था.
वेंकटेश प्रसाद ने सोहेल से लिया बदला
1996 के वर्ल्ड कप में बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने थीं. 288 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान अच्छी स्थिति में था. पारी के 15वें ओवर में आमिर सोहेल ने वेंकटेश प्रसाद को ऑफ साइड में चौका मारने के बाद अपना आपा खो दिया. दरअसल, सोहेल ने अपने बैट से इशारा करते हुए एक बार फिर उसी दिशा में शॉट खेलने की बात कही.
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वेंकटेश प्रसाद की अगली गेंद पर उस शॉट को दोहराने के प्रयास में सोहेल चकमा खा गए और गेंद स्टंप पर जा लगी. इसके बाद वेंकटेश प्रसाद ने सोहेल को पवेलियन लौट जाने का इशारा किया. मजबूत स्थिति में दिख रही पाकिस्तानी टीम को सोहेल की उस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा. भारत ने उस मुकाबले में पाकिस्तान को 39 रनों से शिकस्त दे दी थी. अनिल कुंबले और वेंकटेश प्रसाद ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 3-3 विकेट चटकाए.
बीच मैदान पर भिड़े गंभीर और आफरीदी
2007 में कानपुर वनडे मैच के दौरान गौतम गंभीर और शाहिद आफरीदी ने आपा खो दिया था. गंभीर ने आफरीदी एक गेंद को चौका लगाया और अगली ही गेंद पर सिंगल लेने के लिए दौड़ पड़े. जब गंभीर रन लेने के लिए दौड़ रहे थे, तभी दोनों के बीच टक्कर हो गई थी. इसके बाद दोनों खिलाड़ियों के बीच जमकर नोक-झोंक हुई. अंपायर इयान गूल्ड ने किसी तरह इस मामले को शांत कराया. बाद में मैच रेफरी रोशन महानामा ने आफरीदी पर मैच फीसदी का 95 और गंभीर पर 65 फीसदी जुर्माना लगाया था.
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