रायपुर. विकसित देश की ओर तेजी से बढ़ रहे भारत की विकास गाथा यहां पर उपलब्ध खनिज संपदाओं में मुख्यतः कोयला और बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता द्वारा ही सुनहरे अक्षरों में लिखी जा रही है. यही वह शक्ति है, जो करोड़ों घरों को रोशन करती है, औद्योगिक क्रांति की गति में रफ्तार भरती है और राष्ट्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर करती है. छत्तीसगढ़, जिसकी धरती में प्रचुर कोयला भंडार और बिजली उत्पादन की अपार क्षमता समाई है, राष्ट्र निर्माण की यात्रा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

कोयला: देश में विकास का आधार

भारत के विशाल कोयला भंडार लाखों लोगों तक किफायती बिजली पहुंचाते हैं. गरीबी के अंधकार को मिटाते हैं. यहां का कोयला, ऊर्जा सुरक्षा की रीढ़ बनकर विदेशी आयात पर निर्भरता कम करता है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करता है. स्टील, सीमेंट, उर्वरक, कपड़ा, मोबाईल, टीवी, इत्यादि जैसे सभी उद्योगों में कोयला ही शक्ति का संचार करता है और आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है. दूर-दराज के गाँवों तक रोशनी पहुँचाकर कोयला आधारित बिजली बेहतर कृषि के साथ-साथ ग्रामीण विकास और बेहतर जीवन का वाहक बनता है.

बिजली: प्रगति की प्रेरणा

बिजली ही ऐसा एकमात्र साधन है जो कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे हर क्षेत्र में विकास को गति देता है. घर-घर तक बिजली पहुंचने से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा का प्रसार और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि संभव होती है. सिंचाई परियोजनाओं, परिवहन नेटवर्क और संचार प्रणालियों का संचालन बिजली के सहारे ही होता है, जो आधुनिक भारत का आधार है. तकनीकी नवाचार (इनोवेशन) और वैज्ञानिक प्रगति के लिए भी निरंतर बिजली आपूर्ति अनिवार्य है, भारत को ज्ञान और विकसित अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आगे ले जाने में इसकी भूमिका निर्विवाद है.

छत्तीसगढ़: कोयला और बिजली उत्पादन का गढ़

छत्तीसगढ़ भारत के प्रमुख कोयला उत्पादक राज्यों में से एक है, इसकी खानों से निकलने वाला कोयला राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है. राज्य में स्थित अत्याधुनिक बिजली संयंत्र 23688 मेगावाट (इंस्टाल्ड क्षमता) बिजली का उत्पादन कर राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूती प्रदान करते हैं. कोयला खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों और सतत विकास पर बल दे रहा है.

चुनौतियां और भविष्य

पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कोयला खनन और बिजली उत्पादन में स्वच्छ तकनीकों को अपनाया जा रहा है. नवीकरण ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर, पवन और जलविद्युत का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर ऊर्जा उत्पादन को विविधता देने के प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी देश की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 70%, कोयला जनित बिजली से ही पूरा किया जा रहा है. केवल 30% बिजली ही नवीन ऊर्जा स्त्रोतों से उत्पादित होती है. कोयला और बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देकर भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को टिकाऊ तरीके से पूरा करने की आवश्यकता है.

कोयला और बिजली भारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव है. छत्तीसगढ़ इस राष्ट्र निर्माण यात्रा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. पर्यावरण अनुकूल तकनीकों और नवीकरणीय ऊर्जा के समावेशी विकास के साथ भारत एक स्वच्छ, टिकाऊ और आत्मनिर्भर ऊर्जा के भविष्य की ओर निरंतर अग्रसर है. आइए, मिलकर इस उज्ज्वल भविष्य को साकार करें और विकसित भारत की ओर अपना कदम से कदम बढ़ाते चलें.

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