नई दिल्ली। भारत से अलग होने के 78 साल बाद भी पाकिस्तान एक जिम्मेदार राष्ट्र नहीं बन पाया है. भारत के प्रति नफरत ने आज पाकिस्तान को तबाह-बर्बाद कर दिया है, लेकिन सत्ताधारी फिर भी हकीकत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. आज जब एक बार फिर से जब भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर खड़े हैं, तब विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज द्वारा 29 सितंबर 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया भाषण याद बरबस ही ताजा हो जा रहा है. आप भी पढ़िए और सुनिए…
अध्यक्ष महोदय, हम गरीबी से लड़ रहे हैं, लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है. परसों इसी मंच से बोलते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने भारत पर कई आरोप लगाए. उन्होंने हमें “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” फैलाने का दोषी भी बताया और मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया. जब वे बोल रहे थे, तो श्रोता कह रहे थे- “देखो कौन बोल रहा है!” वह देश, जो क्रूरता की हदें पार करता है और सैकड़ों निर्दोष लोगों को मारता है, यहाँ खड़ा होकर हमें मानवता का पाठ पढ़ा रहा है, मानवाधिकारों का उपदेश दे रहा है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को शांति और मित्रता की विदेश नीति विरासत में दी है. मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने शांति और मित्रता की नीति विरासत में नहीं छोड़ी- इतिहास यह अच्छी तरह जानता है. लेकिन यह सच है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और मित्रता की नीयत दिखाई. उन्होंने सभी बाधाओं को पार करते हुए दोस्ती का हाथ बढ़ाया. लेकिन उस कहानी को किसने रंगहीन कर दिया, श्री अब्बासी, इसका जवाब आपको देना है, मुझे नहीं.
वे यहां खड़े होकर पुराने संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन क्या उन्हें याद नहीं है कि शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र के तहत हमारे दोनों देशों ने तय किया था कि हम अपने आपसी मुद्दों को मिल-बैठकर सुलझाएंगे, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे? अध्यक्ष महोदय, सच तो यह है कि पाकिस्तान के राजनेताओं को सब याद है, लेकिन वे अपनी सुविधा के लिए भूलने का नाटक करते हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी व्यापक वार्ता की बात की थी. मैं उन्हें याद दिला दूं कि 9 दिसंबर, 2015 को जब मैं हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के लिए इस्लामाबाद गया था, तो उनके नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरपरस्ती में नए सिरे से वार्ता शुरू करने का फैसला किया गया था और इसे नया नाम दिया गया था. नाम था व्यापक द्विपक्षीय वार्ता. द्विपक्षीय शब्द सोच-समझकर शामिल किया गया था ताकि कोई संदेह, कोई संदेह, कोई गलतफहमी न रहे और यह सुनिश्चित हो जाए कि वार्ता केवल दो देशों के बीच होगी, किसी तीसरे पक्ष की मदद से नहीं. लेकिन वो प्रक्रिया आगे क्यों नहीं बढ़ी? इसके लिए भी, अब्बासी साहब, आप ही जवाबदेह हैं, मैं नहीं.
अध्यक्ष महोदय, आज इस मंच से, मैं पाकिस्तान के राजनेताओं से एक सवाल पूछना चाहता हूँ: क्या आपने कभी साथ बैठकर सोचा है कि भारत और पाकिस्तान एक साथ आज़ाद हुए, लेकिन आज भारत दुनिया भर में IT महाशक्ति के रूप में जाना जाता है, और पाकिस्तान एक आतंकवादी देश के रूप में जाना जाता है, एक आतंक का देश? इसका क्या कारण है? क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है? इसका एक ही कारण है: कि भारत ने पाकिस्तान द्वारा दी गई आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने घरेलू विकास को कभी रुकने नहीं दिया. सत्तर साल के दौरान अलग-अलग दलों की सरकारें आईं, लेकिन हर सरकार ने विकास की गति को जारी रखा.
अध्यक्ष महोदय, हमने IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) बनाए, हमने IIM (भारतीय प्रबंधन संस्थान) बनाए, हमने AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) जैसे अस्पताल बनाए, हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध संस्थान बनाए. पाकिस्तान के लोगों, आपने क्या बनाया? आपने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, आपने जैश-ए-मोहम्मद बनाया, आपने हक्कानी नेटवर्क बनाया, आपने हिजबुल मुजाहिदीन बनाया, आपने आतंकवादियों के ठिकाने बनाए, आपने आतंकवादी शिविर बनाए.
अध्यक्ष महोदय, हमने विद्वान पैदा किए, हमने वैज्ञानिक पैदा किए, हमने इंजीनियर पैदा किए, हमने डॉक्टर पैदा किए. पाकिस्तान के लोगों, आपने क्या पैदा किया? आपने आतंकवादी पैदा किए, आपने जिहादी पैदा किए. और आप जानते हैं कि डॉक्टर मरते हुए लोगों की जान बचाते हैं और जिहादी जीवित लोगों को मारते हैं. और आपके जिहादी संगठन केवल भारत के लोगों को ही नहीं मार रहे हैं, वे हमारे पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भी मार रहे हैं; वे भी उनकी गिरफ्त में हैं.
अध्यक्ष महोदय, संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी देश ने शाम को जवाब देने का अधिकार मांगा और उसे एक साथ तीन लोगों को स्पष्टीकरण देना पड़ा, एक साथ तीन देशों को जवाब देना पड़ा. यह एक तथ्य पाकिस्तान की करतूतों को दर्शाता है. मैं पाकिस्तान के लोगों से कहना चाहूँगा कि जो पैसा आप आतंकवादियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हैं, अगर आप उसे अपने लोगों के कल्याण के लिए, अपने देश की प्रगति के लिए खर्च करेंगे, तो दुनिया आतंकवाद से मुक्त हो जाएगी, साथ ही आपके लोगों का कल्याण संभव होगा, और आपके देश का विकास संभव होगा.
अध्यक्ष महोदय, आज संयुक्त राष्ट्र जिन समस्याओं का समाधान करना चाहता है, उनमें सबसे प्रमुख है आतंकवाद. भारत आतंकवाद का सबसे पुराना पीड़ित है. लेकिन मुझे याद है कि जब हम आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल करते थे, तो दुनिया के बड़े देश इसे कानून और व्यवस्था का मुद्दा कहकर खारिज कर देते थे. लेकिन आज जब आतंकवाद चारों तरफ अपने पैर पसार रहा है, तो अब सभी देश इससे चिंतित हैं. लेकिन मुझे लगता है कि अब समय आ गया है जब हमें आत्मचिंतन करने की जरूरत है.