विरोधी देशों के खिलाफ एक निवारक उपाय के तौर पर भारत की परमाणु प्रतिरक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता घट रही है. दूसरे परमाणु परीक्षण का अहम हिस्सा रहे दो अधिकारियों ने यह बात कही है. 11 और 13 मई, 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए थे. उस परीक्षण का हिस्सा रहे डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक के. संतानम और पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रोफेसर भरत कर्नाड ने कहा है कि परमाणु हथियारों के मामलों में विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए भारत को और परीक्षण करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा है कि भारत की परमाणु हथियार प्रणाली परिपक्व नहीं है. ‘हमारे हाइड्रोजन बम की क्षमता सीमित है. यह अभी परिपक्वता के स्तर पर नहीं पहुंचा है. हमें थोड़ी ही सफलता प्राप्त हुई है.’
दूसरे परमाणु शक्ति वाले देशों की बात करें तो चीन ने अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाने के लिए 50 परीक्षण किए हैं. वहीं, अमेरिका ने 2,000 से ज्यादा मौकों पर परमाणु परीक्षण किए हैं. जबकि भारत ने केवल 1974 और 1998 में परमाणु परीक्षण किए. इस पर दोनों विशेषज्ञों ने बताया कि 2008 में इस बात को लेकर सहमति थी कि और परीक्षण होने चाहिए, लेकिन तब से इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई है. पोखरण के आसपास हुए परीक्षणों के दिनों को याद करते हुए संतानम बताते हैं कि उस समय अमेरिकी सेटलाइट सिस्टम को चकमा देने के लिए रात में काम किया जाता था.