नई दिल्ली। चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सुरक्षा को मजबूत करने और तैयारी बढ़ाने के उद्देश्य से एक रणनीतिक कदम में भारतीय सेना ने अपनी उत्तरी कमान के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया है. कमांड का पदचिह्न पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तक सीमित था, जिसे अब उत्तर प्रदेश के प्रयागराज तक फैलाया गया है, जो सैन्य तैनाती में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है. इसे भी पढ़ें : बदल गया कश्मीर… शीर्ष अलगाववादियों के परिजनों ने हलफनामे के जरिए भारत के प्रति जताई वफादारी…

इस विस्तार को पहली बार उधमपुर के बाहर आयोजित ऐतिहासिक वार्षिक अलंकरण समारोह द्वारा रेखांकित किया गया था, जो महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने पर कमांड के नए फोकस का प्रतीक था. यह समारोह प्रयागराज में रेड ईगल डिवीजन के मुख्यालय में आयोजित किया गया था. भारतीय सेना ने चीन से सटी एलएसी पर सैन्य तैनाती मजबूत करने के इरादे से यह अहम कदम उठाया है.

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जानकारी के मुताबिक, मथुरा (उत्तर प्रदेश) स्थित स्ट्राइक कोर (स्ट्राइक 1) अब उत्तरी कमान के अधीन आ गई है. पहले यह कोर जयपुर स्थित दक्षिण-पश्चिमी कमान के अधीन थी. इसका मुख्य चार्टर युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सीमा पर हमला करना था.

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हाल के वर्षों में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध जारी है, अपने आंतरिक संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान शांत है. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे तनाव के कारण इस स्ट्राइक कोर को अब उधमपुर (जम्मू-कश्मीर) के अधीन कर दिया गया है. चूंकि रेड ईगल डिवीजन (4 डिवीजन) इस स्ट्राइक कोर का एक हिस्सा है, इसलिए उत्तरी कमान ने इस सप्ताह की शुरुआत में प्रयागराज में अपना अलंकरण समारोह आयोजित किया.

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कश्मीर घाटी में आतंक विरोधी अभियान से लेकर पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी), कारगिल, सियाचिन और पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी और सुरक्षा तक उत्तरी कमान का आदर्श वाक्य है. ‘हमेशा युद्ध में’ है.

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मथुरा स्थित स्ट्राइक कोर के अलावा, भारतीय सेना अब उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित नॉर्थ इंडिया (यूबी) एरिया फॉर्मेशन को एक पूर्ण कोर में बदलने की तैयारी कर रही है. अब तक यूबी क्षेत्र वन-पीस फॉर्मेशन था. लेकिन अब उत्तराखंड और हिमाचल से सटी एलएसी पर और अधिक सैनिक तैनात करने के इरादे से बरेली में एक पूरी कोर खड़ी की जा रही है. अभी तक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग स्वतंत्र ब्रिगेड तैनात की जाती थीं. लेकिन अब ये सभी ब्रिगेड इस नई कोर के अधीन होंगी.

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उत्तराखंड के बाराहोती (गढ़वाल रेंज), काला-पानी और लिपुलेख (कुमाऊं) जैसे इलाके ऐसे इलाके हैं जहां भारत का चीन के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है. ऐसे में भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में हुए विवाद जैसी किसी भी तरह की गलती के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है.

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हाल ही में खबर आई थी कि पाकिस्तान सीमा पर तैनात 10 हजार जवानों को हिमाचल से सटी एलसी पर तैनात किया गया है. नई वाहिनी के तहत यह तैनाती पर विचार किया जा रहा है. बरेली स्थित नई कोर सेना की मौजूदा मध्य कमान के अधीन रहेगी जिसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में है. अब तक इस कमांड के तहत कोई कोर नहीं थी.