रायपुर। आज भारतीय नौसेना दिवस है. इसका नीति वाक्य है- ‘शं नो वरुण:‘. इसका अर्थ होता है- जल देव वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें. इंडियन नेवी दुनिया की सबसे बड़ी नौसेनाओं में से एक है. हमारे देश के पास एक से बढ़कर एक युद्धपोत और जहाज हैं. इनमें से कई युद्धपोतों को भारत में ही बनाया गया है. यहां तक कि हमारे युद्धपोत और मिसाइलें समंदर के नीचे, ऊपर और सतह पर भी लक्ष्य भेद सकती हैं.
नौसेना दिवस से एक दिन पहले मुंबई में सेना ने गेटवे ऑफ इंडिया के सामने ‘बीटिंग द रिट्रीट’ का आयोजन किया. नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने देश को संबोधित किया. उन्होंने इस मौके पर सभी नौसैनिकों को शुभकामनाएं दी हैं और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया.

प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ने दी बधाई

नौसेना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना कर्मियों को बधाई दी. प्रधानमंत्री ने कहा, “सभी नौसेना कर्मियों और उनके परिवारों को नौसेना दिवस की शुभकामनाएं.
वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करके कहा, नौसेना दिवस पर भारतीय नौसेना के अधिकारियों और नौसैनिकों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी समुद्री सरहदों और व्यापारिक जलमार्गों की सुरक्षा और आपदाओं के समय देशवासियों की सहायता के प्रति आपकी प्रतिबद्धता के लिए देश को आप पर नाज है.

पाक नौसेना के छुड़ा दिए थे छक्के

भारतीय नौसेना दिवस हमारी नौसेना की पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में मनाया जाता है. 3 दिसंबर को इंडियन नेवी ने पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है, में पाक सेना के खिलाफ जंग की शुरुआत की थी, जिसे ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के नाम से जाना जाता है. 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था. नौसेना ने पाकिस्तान के 3 जहाज को खत्म कर दिया था. इसमें भारतीय नौसेना का आईएनएस खुकरी भी पानी में डूब गया था, जिसमें  176 नौसैनिक सवार थे.

नौसेना प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा के नेतृत्व में ऑपरेशन ट्राइडेंट का प्लान बना था. इस दौरान पाकिस्तान के कई ऑयल टैंकर को तबाह कर दिया गया. वहीं कराची तेज डिपो में भी हमला किया गया, जिसके बाद इसमें लगी आग की लपटें 60 किलोमीटर की दूरी से भी दिखाई देती थीं. ये आग 7 दिनों तक लगी रही थी.
ऑपरेशन ट्राइडेंट के दौरान 500 से भी अधिक पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए थे. उस युद्ध में भारत के आईएनएस निर्घात, आईएनएस निपट और आईएनएस वीर ने भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी.

इंडियन नेवी की खास बातें

  • 26 जनवरी 1950 को इंडियन नेवी का पुनर्गठन किया गया
  • भारतीय नौसेना आधिकारिक तौर पर 1830 में अस्तित्व में आई थी. उस वक्त ब्रिटेन का भारत पर राज था और यहां की नेवी रॉयल इंडियन नेवी कहलाती थी
  • 1946 में रॉयल भारतीय नौसेना के 20,000 भारतीय नाविकों ने ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ विद्रोह किया था.
  • आर्मी और एयरफोर्स के मुकाबले नौसेना में अधिक स्वदेशी लड़ाकू उपकरण हैं
  • इंडियन नेवी ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, इंडोनेशिया, म्यांमार, रूस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान के साथ युद्ध का अभ्यास करती है.
  • भारतीय नौसेना का पहला स्वतंत्र ऑपरेशन पुर्तगाली नेवी के खिलाफ हुआ था, इसका नाम ऑपरेशन विजय था
  • भारतीय नौसेना के पास मरीन कमांडो फोर्स है. उन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है.

भारतीय नौसेना है बेहद शक्तिशाली

भारतीय तट की लंबाई- 7,517 किलोमीटर
नौसेना में काम करने वाले लोग- 67,109
युद्धपोत- 135

आज नौसेना के पास लड़ाकू विमान ले जाने वाला युद्धपोत आइएनएस विक्रमादित्य है. 11 विध्वंसक, 14 फ्रिगेट, 24 लड़ाकू जलपोत, 29 पहरा देने वाले जहाज, दो परमाणु पनडुब्बियों सहित 13 अन्य पनडुब्बियों और अन्य कई जलयानों की बड़ी फौज है.

भारतीय नौसेना का इतिहास

1612 में ब्रिटिश सेना ने गुजरात में सूरत के पास एक छोटी नौसेना की स्थापना की. इसे ऑनरेबल ईस्ट इंडिया मरीन नाम दिया गया था. 1686 में जब अंग्रेजों ने उस समय के बंबई से व्यापार करना शुरू किया, तो नौसेना को बंबई मरीन कहा जाने लगा. 1892 में इसे रॉयल इंडियन मरीन नाम से पुकारा जाने लगा. फिर 26 जनवरी 1950 को इसका पुनर्गठन हुआ और इसका नाम भारतीय नौसेना किया गया. 22 अप्रैल, 1958 को वाइस एडमिरल आर डी कटारी को नौसेना का पहला भारतीय प्रमुख नियुक्त किया गया.