नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के नवीनतम नौसैनिक अड्डे – आईएनएस अरावली – का शुक्रवार को समुद्र तट से 1100 किलोमीटर दूर स्थित गुरुग्राम में कमीशनिंग हुई. इस दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि समुद्री सुरक्षा के चुनौतीपूर्ण समय में, जहाँ खतरे तेज़ी से और “अक्सर अदृश्य रूप से” उभर सकते हैं, वास्तविक समय में जानकारी एकत्र करने, उसका विश्लेषण करने और उसे साझा करने की क्षमता “निवारण और रक्षा दोनों को परिभाषित करेगी”.
नौसेना प्रमुख ने कहा, “तेजी से जटिल और चुनौतीपूर्ण समुद्री परिवेश में, जहाँ खतरे तेज़ी से और अक्सर अदृश्य रूप से उभर सकते हैं, वास्तविक समय में जानकारी एकत्र करने, उसका विश्लेषण करने और उसे साझा करने की क्षमता निवारण और रक्षा दोनों को परिभाषित करेगी.”
उन्होंने आगे कहा, “जब हम आईएनएस अरावली को राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर रहे हैं, तो एक तरह से, ये प्राचीन रक्षक समुद्री क्षेत्र पर अपनी निगरानी बढ़ा रहे हैं. 1949 में अपनी साधारण शुरुआत से, इस परिसर ने पिछले 15 वर्षों में उल्लेखनीय विकास देखा है.”
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रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इसका नाम अडिग अरावली पर्वतमाला से लिया गया है और यह भारतीय नौसेना के विभिन्न सूचना एवं संचार केंद्रों को सहायता प्रदान करेगा, जो देश और नौसेना के कमान, नियंत्रण और समुद्री क्षेत्र जागरूकता (एमडीए) ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके बाद नौसेना प्रमुख ने सूचना को “समुद्री शक्ति की निर्णायक मुद्रा” बताया.
उन्होंने कहा, “हमारे समुद्री हित व्यापार, ऊर्जा और संपर्क तक फैले हुए कई गुना बढ़ने वाले हैं. इन बढ़ते हितों की रक्षा के लिए, समुद्री सूचना के प्रति हमारा दृष्टिकोण आविष्कार, नवाचार और एकीकरण की त्रिमूर्ति द्वारा निर्देशित होना चाहिए,”
उन्होंने कहा, “यहाँ सुविधाओं के पैमाने और परिष्कार में वृद्धि के साथ, यह उचित ही है कि उन्हें एक मजबूत और लचीला प्रशासनिक-सह-लॉजिस्टिक समर्थन प्राप्त हो. और, बेस डिपो जहाज, आईएनएस अरावली का जलावतरण ठीक यही आधार प्रदान करता है.”

एडमिरल त्रिपाठी ने आगे कहा कि नया बेस कोई तकनीकी केंद्र नहीं, बल्कि सहयोग का केंद्र है, जो महासागरों के पार हमारे प्लेटफार्मों और साझेदारों को जोड़ता है. इस संदर्भ में, आईएनएस अरावली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगात्मक दृष्टिकोण, महासागर, यानी क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति का एक सच्चा प्रतीक है.
एडमिरल ने कहा कि आईएनएस अरावली निश्चित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को “और मज़बूत” करेगा. उन्होंने कहा, “आज, हम एक नेटवर्क-केंद्रित और ज्ञान-संचालित बल के रूप में भारतीय नौसेना के विकास में एक नया अध्याय लिख रहे हैं.”
‘समुद्रिका सुरक्षा सहयोगम्’ या ‘सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित, यह नौसैनिक बेस एक सहयोगी और सहयोगी भावना का उदाहरण है, जो नौसेना इकाइयों, एमडीए केंद्रों और संबद्ध हितधारकों के साथ निर्बाध रूप से काम करता है.
नौसेना प्रमुख ने कहा, “जिस प्रकार अरावली की पहाड़ियां सदियों से अडिग रही हैं, उसी प्रकार आईएनएस अरावली हमारे समुद्रों की रक्षा करती रहेगी और हमारी साझेदारियों को मजबूत करेगी, जिससे भारतीय नौसेना किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी तरह से हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करने में सक्षम हो सकेगी.”
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