Indian Rupee Vs US Dollar: रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. आज यानी 16 अप्रैल को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसमें 9 पैसे की गिरावट देखी गई और यह अब तक के सबसे निचले स्तर 83.53 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया.

हालांकि, कारोबार के अंत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे गिरकर 83.49 रुपये पर आ गया. इससे पहले 22 मार्च 2024 को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सबसे निचले स्तर 83.45 पर पहुंच गया था.

विशेषज्ञों के मुताबिक, इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण अमेरिकी डॉलर को सपोर्ट मिल रहा है. इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भी डॉलर मजबूत हो रहा है.

आयात करना महंगा होगा

रुपये में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए सामान का आयात महंगा होने वाला है. इसके अलावा विदेश घूमना और पढ़ाई करना भी महंगा हो गया है. मान लीजिए जब रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले 50 थी.

अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपये में 1 डॉलर मिलता था. अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 83.49 रुपये खर्च करने होंगे. इससे फीस से लेकर आवास, भोजन और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी.

मुद्रा का मूल्य कैसे निर्धारित किया जाता है?

यदि किसी अन्य मुद्रा का मूल्य डॉलर की तुलना में घट जाए तो इसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे करेंसी डेप्रिसिएशन कहते हैं. प्रत्येक देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार होता है जिससे वह अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन करता है. विदेशी भंडार बढ़ने और घटने का असर मुद्रा की कीमत पर दिखता है.

यदि भारत के विदेशी भंडार में डॉलर भंडार और अमेरिका के विदेशी भंडार में रुपया भंडार का मूल्य बराबर है, तो रुपये का मूल्य स्थिर रहेगा. यदि हमारा डॉलर कमजोर होगा, तो रुपया कमजोर होगा; अगर यह बढ़ता है तो रुपया मजबूत होगा. इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहा जाता है.