वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक मंदी की चुनौतियों को करारा जवाब देते हुए 8.2% की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी एवँ कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने शुक्रवार (28 नवंबर 2025) को जारी प्रेस नोट में बताया कि यह ग्रोथ पिछले वर्ष की समान अवधि के 5.6% से काफी बेहतर है. स्थिर मूल्यों (2011-12 आधार) पर जीडीपी 48.63 लाख करोड़ रुपए रही, जो एक साल पहले ₹44.94 लाख करोड़ थी.
NSO द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, नॉमिनल जीडीपी में 8.7% की बढ़ोतरी हुई, जो 85.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गई. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “यह आँकड़े मोदी सरकार की सुधार-केंद्रित नीतियों की जीत हैं, जो निवेश और उपभोग को गति दे रही हैं. भारत अब वैश्विक विकास का इंजन बन चुका है.” इस तिमाही में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों ने मुख्य भूमिका निभाई. द्वितीयक क्षेत्र में 8.1% की वृद्धि दर्ज हुई, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग 9.1% और कंस्ट्रक्शन 7.2% आगे बढ़ा. तृतीयक क्षेत्र ने 9.2% की उछाल दिखाई, खासकर फाइनेंस, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज में 10.2% की मजबूत ग्रोथ.
प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर (PFCE) में 7.9% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल के 6.4% से बेहतर है. यह असमान मानसून के बावजूद घरेलू माँग की मजबूती को दर्शाता है. अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा, “PFCE की यह रफ्तार उपभोक्ता विश्वास का प्रमाण है, जो अर्थव्यवस्था को स्थिरता दे रही है.”
हालाँकि, प्राथमिक क्षेत्र कुछ कमजोर रहा. कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में केवल 3.5% की वृद्धि हुई, जबकि बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य उपयोगिता सेवाओं में 4.4% दर्ज किया गया. ये आँकड़े मौसमी चुनौतियों का नतीजा हैं.
अमेरिकी टैरिफ का नहीं दिखा असर
घरेलू डिमांड बढ़ने से भारतीय जीडीपी को पुश करने में मदद मिली हैं. आज के आकंड़ों से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि, अमेरिकी टैरिफ भी भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकी. इतने भारी-भरकम टैरिफ के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी देखने को मिली है.
जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से रही ज्यादा
पिछली तिमाही के नतीजों की बात करें तो, जीडीपी में वृद्धि 7.8 प्रतिशत रही थी. वहीं, इस तिमाही यह 8.2 फीसदी के आंकडे पर पहुंच गई. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 7 प्रतिशत और कुछ इकोनॉमिस्ट्स ने इसे 7.3 फीसदी का वृद्धि अनुमान लगाया था. हालांकि, परिणाम इससे बेहतर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी कटौती का फैसला, त्योहारों से पहले स्टॉकिंग में तेजी और ग्रामीण क्षेत्रों में फिर से मांग बढ़ना इसके मुख्य कारण हो सकते हैं.
एक्सपर्ट का क्या हैं कहना?
एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आस्था आहुजा ने कहा कि, दूसरे तिमाही के जीडीपी नतीजे हर देशवासी के चेहरे पर खुशी ले कर आते हैं. जीडीपी ग्रोथ 8.2 फीसद रही है, ऐसे समय में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हमारे ऊपर टैरिफ लगाया हुआ है. उन्होंने नतीजों पर खुशी जाहिर की हैं. हालांकि, उन्होंने कुछ सवालों के जवाब खोजने की बात भी कही हैं.
आस्था ने कहा कि, हम जो बेस ईयर(2011-12) इस्तेमाल करते हैं, वो काफी पुराना है. साथ ही उन्होंने इनफॉर्मल सेक्टर के ग्रोथ डेटा के न होने की बात भी कही हैं. फॉर्मल जॉब ग्रोथ को लेकर भी उन्होंने अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि, अक्टूबर में इसमें 20 फीसदी की गिरावट है. अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता पर उन्होंने बात की. उन्होंने कहा कि, आने वाले समय में इसका असर नजर आएगा.
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