नई दिल्ली. भारत और चीन ने सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने के प्रयासों में तेजी लाने का संकल्प लिया है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शनिवार को भारत-चीन सीमा वार्ता के 21वें दौर की बैठक में हिस्सा लिया. इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद से जुड़े मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई. दोनों देशों ने इस बात का संकल्प लिया कि वे सीमा विवाद से जुड़े मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत के जरिये हल निकालने के अपने प्रयास को और तेज करेंगे.
सिचुआन प्रांत के डुजियांग शहर में हुई शीर्ष स्तरीय वार्ता में डोभाल ने भारत और चीनी स्टेट काउंसलर वांग यी ने चीन का प्रतिनिधित्व किया. बैठक में डोभाल और वांग ने सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के साथ ही वुहान सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की भी समीक्षा की. दोनों देशों ने बातचीत के माध्यम से तमाम विवादित मुद्दों का समाधान खोजने के लिए एक बार फिर सहमति जताई. इतना ही नहीं, भारत और चीन ने सीमा पर शांति कायम रखने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया. दोनों देशों ने एक सुर में कहा कि विवादित मुद्दों का असर द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति पर नहीं पड़ना चाहिए.
सीमा वार्ता के बाद बीजिंग में भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान के मुताबिक, डोभाल और चीनी स्टेट काउंसलर के बीच बातचीत सार्थक रही. भारत और चीन ने सीमा विवाद के मुद्दों का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने के प्रयासों में तेजी लाने का संकल्प लिया. इस दौरान डोभाल और वांग ने सीमा से जुड़े प्रश्न पर भारत और चीन के रणनीतिक दृष्टिकोण के महत्व को भी रेखांकित किया. इस शीर्ष स्तरीय वार्ता से चार दिन पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, ‘भारत और चीन के संबंधों में मजबूती आई है’.
दोनों पड़ोसी देशों ने अपने मतभेदों को बातचीत के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया है. इतना ही नहीं, सभी क्षेत्रों में सहयोग भी बढ़ा है.’ भारत और चीन के बीच 3488 किमी लंबी सीमा को लेकर विवाद है. यहां तक कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है, जबकि भारत उसके इस दावे को हमेशा खारिज करता है. इसी वजह से चीन अरुणाचल में किसी भी शीर्ष भारतीयों नेता के दौरे पर अपना विरोध दर्ज कराता है.