हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर के आजाद नगर थाना क्षेत्र में एक गरीब मजदूर की हत्या के मामले में मृतक के परिजन थाने में कार्रवाई की गुहार लगाते रहे, लेकिन पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। आरोप था कि जिस ठेकेदार पर हत्या का शक है, उसे थाने बुलाकर चाय पिलाई गई और बिना पूछताछ के छोड़ दिया गया। जब इस मामले में पत्रकारों ने सवाल उठाए, तो अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त आलोक शर्मा आपा खो बैठे। उन्होंने पत्रकार से कहा था- “तुम क्या हो? तुम्हारी औकात क्या है?”
घटना के बाद मामला तूल पकड़ गया और अब खुद पुलिस कमिश्नर ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। इस घटनाक्रम के बाद मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा और पुलिस विभाग की छवि पर सवाल उठने लगे। इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर इंदौर के अनुमोदन पर डीसीपी जोन-1 विनोद कुमार मीना को इस मामले की जांच सौंपी गई है।
पुलिस कमिश्नर कार्यालय द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, डीसीपी विनोद मीना को तीन दिनों के भीतर इस पूरे मामले की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्षता से जांच की जाए और तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की जाए। फिलहाल, इंदौर पुलिस विभाग में यह विषय चर्चा का केंद्र बना हुआ है कि जिन अफसरों पर कानून व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी है, वे ही अगर मीडिया और जनता से संवाद नहीं कर पा रहे हैं, तो सवाल उठना लाजमी है।
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