हेमंत शर्मा,इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद भी पिछले कई समय से बल की कमी लगातार बनी हुई है. जिस कारण पुलिस के आला अधिकारियों को क्राइम कंट्रोल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मौजूदा पुलिसकर्मियों को 18 घंटे की नौकरी तक करवानी पड़ रही है.
इंदौर में कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद 36 थाने है. जिनमें स्वीकृत बल 5405 अधिकारी और कर्मचारियों का है. वही 215 पद अभी भी रिक्त है. वर्तमान में 4630 अधिकारी कर्मचारी शहर चला रहे हैं. इंदौर के कई स्थान ऐसे हैं, जिनमें स्वीकृत बल के मुताबिक आधे बल से काम चलाना पड़ रहा है. थानों का क्षेत्रफल बड़ा है.
इंदौर जिला प्रशासन के मुताबिक इंदौर शहर की अगर बात की जाए, शहर की जनसंख्या 24 लाख 27 हजार 709 है. ऐसे में बढ़ती जनसंख्या के साथ क्राइम ग्राफ भी लगातार क्षेत्र के हर थाने में बढ़ता नजर आ रहा है. क्राइम को रोकने के लिए रात्रि गश्त पुलिसकर्मी कर रहे हैं.
लेकिन थाने में पर्याप्त बल नहीं होने के कारण कई थानों में रात्रि गश्त भी ठीक तरीके से नहीं हो पा रही है. जिसका हर्जाना इंदौरवासियों को भुगतना पड़ रहा है. हर दिन इंदौर शहर में चोरी, लूट, डकैती और हत्या के मामले सामने आते हैं. ऐसे में पुलिस के पास बल की कमी होने के कारण पुलिस के आला अधिकारी भी क्राइम कंट्रोल करने में सक्षम नजर नहीं आते हैं.
इंदौर के तत्कालीन विजय नगर थाना प्रभारी तहजीब काजी के मुताबिक क्षेत्र में क्राइम कंट्रोल करने के लिए लगातार पुलिस पार्टियों को दौड़ाया जाता है. रात्रि गश्त भी करवाई जाती है. ऐसे में जिन पुलिसकर्मियों को 8 से 10 घंटे की नौकरी करनी चाहिए, वो 18 घंटे तक नौकरी कर रहे हैं. जिस कारण पुलिसकर्मियों को घर में भी परिवार के साथ परेशानी का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने ये भी बताया कि कई पुलिसकर्मियों को पिछले कई सालों से छुट्टियां तक नहीं मिल पाई है. उसका सबसे बड़ा कारण है कि पुलिसकर्मी की गैर हाजिरी में अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वीआईपी मूवमेंट होने पर थाने का बल कई बार रात्रि गश्त करने के बाद भी थाने पर रहता है. कभी कभी 24 घंटे की नौकरी तक पुलिसकर्मियों को करनी पड़ती है.
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