आशुतोष तिवारी,जगदलपुर। क्या प्राणदायिनी इंद्रावती नदी को बस्तरवासी बचा पाएंगे? यह सवाल लोगों के जहन में उठने लगा है. बस्तरवासियों की पदयात्रा लगातार आज पांचवे दिन भी जारी है. इंद्रावती नदी का अस्तित्व खत्म हो रहा है, जिसे बचाने की कवायत को तेज कर लोग इस आवाज को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं. अब तक लोग नदी के रास्ते 35 किलो का सफर तय कर लिया है.

शुक्रवार को जगदलपुर ब्लॉक के भालूगुड़ा से शुरु हुई यात्रा आज जगदलपुर के पुराना पुलिया पहुंची. इस बीच लगभग 50 से 60 ग्रामीण पदयात्री यात्रा में शामिल हुए. भालुगुड़ा से जगदलपुर तक नदी किनारे कई ऐसे मोड़ आए जहां का रास्ता पार करना कठिन था फिर भी पदयात्री थके डरे नहीं और नुकीले कांटे होते हुए किसानों द्वारा मवेशियों से फसल को बचाने लगाए गए कटीले तार व झुरमुट के बीच नदी के किनारे यात्रा बढ़ती गई. पदयात्रियों ने कई जगह जलसत्याग्रह भी किया. सबसे आकर्षक नजारा हर गांव में पदयात्रियों के स्वागत के लिए ग्रामीण पहुँचते है. हर दिन लोग ये पदयात्रा से जुड़ रहे है और अब स्कूल के बच्चे भी इस यात्रा में शामिल हो रहे है.

वही महिलाएं भी बढ़ी संख्या में भाग लेते नजर आ रही है. महिलाओं का कहना था कि हम प्राणदायिनी इंद्रावती नदी को बचाने के लिए घर से निकले है और इतने कठिन रास्ते पर चलने के बावजूद हमारा जज्बा बढ़ा हुआ है. महिलाएं अपना काम धाम छोड़कर इस पदयात्रा में आ रहे है. रामपाल और आसपास के 7 गांव के ग्रामीणों ने बताया कि आज की स्थिति में जल संचय करने के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे माध्यम से उनके खेत तक पानी पहुंचाया जा सके. उनका एकमात्र साधन इंद्रावती नदी है. उसी से वे सिंचाई के साथ साथ अपने घरेलू उपयोग के लिए पानी लेते हैं. मगर इंद्रावती नदी के सूख जाने से गांव वालों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

देखा जाए तो अभी तक सरकार और राजनीतिक दल का कोई सपोर्ट दिखते नजर नहीं आ रहा है. अब तक कोई जनप्रतिनिधि पदयात्रियों से उनका हाल जानने नही आए है, जबकि रोजाना ही इस पदयात्रा का जिक्र मीडया और अखबारों के माध्यम से सभी के पास पहुँचने के बावजूद भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है. क्या जब इंद्रावती का जल पूरी तरह सूख जाएगा तब सरकार इस तरफ ध्यान आकर्षित करेगी ये बड़ा सवाल है.