रजनी मैथिली, रायपुर। कहते हैं जहां न्यायाधीशों की मौजूदगी हो वो स्थान न्याय का मंदिर हो जाता है. लेकिन न्याय वाली जगह में ये अपराध कैसे. वीडियो देखिए…जरा ठहरकर और धीरे-धीरे देखिए….वीडियो के साथ-साथ रिपोर्टर जो कह रही है उसे भी सूनिए. वीडियो देखकर जितना चौकेंगे, उतना ही पुलिस और कर्मचारियों को भागते हुए देखकर हसेंगे भी. लेकिन इन सवालों के साथ ये कैसा मजाक है, क्या यही होता है?
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देख लीजिए जज साहब आप एक तरफ न्याय व्यवस्था में सुधार को लेकर दो दिन का न्यायिक कांफ्रेस कर थे, वहीं दूसरी ओर बाहर न्यायलीन कर्मचारी, कानून के रक्षक ही कानून की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम जुआ खेल रहे थे. ये तस्वीर उस होटल की है जहां छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, उड़ीसा राज्यों के न्यायाधीशों का दो दिवसीय ईस्ट जोन रीजनल कान्फ्रेंस चल रहा था. हैरानी की बात ये है कि उस वक्त वहां पर पुलिस के कई अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. जैसे ही स्वराज एक्सप्रेस की टीम वहां पहुंची तो कैमरे को देखते ही सब वहां से भागने लगे. सवाल पूछे जाने पर सभी कैमरे से बचने की कोशिश करते रहे और जुआ खेलने की बात से इंकार करते रहे. सवाल ये उठता है कि अगर ये लोग जुआ नहीं खेल रहे थ तो कैमरा देखकर आखिर क्यों भागने लगे. जब आए दिन पुलिस जुआरियों पर कार्रवाई करती है, तो अब देखना ये है कि इस मामले में पर पुलिस क्या कारवाई करती है.