दुर्ग. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद दावाकर्ता द्वारा विलंब से क्लेम फॉर्म और दस्तावेज जमा करने के कारण बीमा कंपनी ने दावा निरस्त कर दिया. इसे उपभोक्ता के प्रति सेवा में निम्नतापूर्ण आचरण मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने दी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मैनेजर पर 2.01 लाख रुपये हर्जाना लगाया.

बालोद जिला के ग्राम गड़इनडीह निवासी हेमनलाल के पिता इतवारी राम का बचत खाता जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सुरेगांव में था, बैंक ने इस खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपये प्रीमियम राशि आहरण कर इतवारी राम का बीमा करवाया था. इसके तहत दुर्घटनात्मक मृत्यु होने पर बीमा धनराशि 2 लाख मिलने का प्रावधान था. बीमाधारक इतवारी राम की मृत्यु बिजली का करंट लगने से हो गई. जिसके बाद बैंक शाखा जाने पर परिवादी को ये जानकारी मिली कि उसके पिता का पीएमएसबीवाय (PMSBY) में बीमा किया गया था तब परिवादी ने क्लेम फार्म और दस्तावेज जमा कर बीमा दावा पेश किया जिसे बीमा कंपनी ने विलंब से दावा पेश करने के आधार पर खारिज कर दिया.

दावा विलंब पर बैंक जिम्मेदार नहीं कहा गया

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ने बचाव में तर्क दिया कि दावा विलंब से किये जाने के आधार पर बीमा कंपनी ने क्लेम निरस्त किया है ऐसी स्थिति में बैंक जिम्मेदार नहीं है.

बीमा कंपनी ने बचाव लिया कि बीमा योजना के नियम एवं शर्तों के तहत कोई दुर्घटना दावा उत्पन्न होने पर 30 दिनों के भीतर बैंक के माध्यम से दावा प्रस्तुत करना आवश्यक है. दावा प्रस्तुत करने में 7 माह का विलंब किया गया है. पॉलिसी के नियम एवं शर्तों के अनुसार ही बीमा दावा खारिज किया गया है.

जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने प्रकरण में प्रस्तुत साक्ष्य एवं दस्तावेजों आधार पर विचारण के बाद यह माना कि परिवादी इस तथ्य से अनभिज्ञ था कि उसका पिता बीमित है और पिता की मृत्यु के बाद बैंक जाने पर ही उसे अपने पिता के बीमित होने की जानकारी मिली, जिसके बाद दावा संबंधी आवश्यक औपचारिक दस्तावेजों को प्राप्त कर उसने दावा प्रस्तुत किया.

ऐसे में परिवादी द्वारा दावा प्रस्तुति में किया गया. विलंब सद्भाविक और परिस्थितिजन्य था, परिवादी ग्रामीण पृष्ठभूमि का कम पढ़ा लिखा व्यक्ति है, ऐसे में विलंब से दावा पेश किए जाने के तकनीकी पहलू के आधार पर क्लेम निरस्त नहीं किया जाना चाहिए था. परिवादी द्वारा किया गया विलंब क्षमायोग्य था. बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) के सर्कुलर के अनुसार भी अपरिहार्य अथवा परिस्थितिगत कारणों से यदि बीमा दावा में विलंब होता है तो ऐसे मामलों में देरी के कारण दावा खारिज नहीं किया जाना चाहिए.ऐसे में परिवादी बीमा कंपनी से बीमा राशि प्राप्त करने का अधिकारी है. फोरम ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार नहीं माना और उसके विरुद्ध प्रकरण खारिज किया.

जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के मंडल प्रबंधक पर 2 लाख 1 हजार रुपये हर्जाना लगाया, जिसके तहत बीमा राशि 2 दो लाख रुपये और उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज तथा वाद व्यय 1000 रुपये देने का आदेश दिया गया.