Interesting Facts Of Sri Jagannath Puri Mahaprasad : जगन्नाथ पुरी के मंदिर में मिलने वाले भोग को महाप्रसाद का नाम दिया गया है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस प्रसाद को ग्रहण करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे भगवान जगन्नाथ का आशीष मिलता है. यह प्रसाद किसी भी अन्य मंदिर से भिन्न होता है और विशेष महत्व रखता है.
ऐसी मान्यता है कि यहां की रसोई कुछ ख़ास है और दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है. इसी रसोई में महाप्रसाद तैयार किया जाता है और इसे सैकड़ों की संख्या में लोग मिलकर तैयार करते हैं. इस रसोई में महाप्रसाद का निर्माण स्वयं माता लक्ष्मी करवाती हैं. यही नहीं जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान (Interesting Facts Of Sri Jagannath Puri Mahaprasad) भी इसका भोग अर्पित किया जाता है और सभी भक्तों में वितरित किया जाता है. इस रसोई में नियमित 56 भोग तैयार किए जाते हैं.
जगन्नाथ मंदिर की रसोई में तैयार किया जाने वाला महाप्रसाद बहुत शुद्ध तरीके से बनाया जाता है और इसमें लहसुन व प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यह भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होता है और इसे धर्म ग्रंथों में बताए गए नियमों के अनुसार ही बनाया जाता है.
मान्यता है कि इस रसोई में कितने भी लोग भोजन ग्रहण कर लें और महाप्रसाद क्यों न ले लें लेकिन इसकी मात्रा कभी कम नहीं हो सकती है. यही नहीं महाप्रसाद में मिलने वाली सामग्री कभी भी बेकार नहीं जाती है.
भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद को मंदिर के पास स्थित दो कुओं के पानी से तैयार किया जाता है. इन कुओं को गंगा -जमुना नाम से जाना जाता है. चूंकि इसका नाम दो पवित्र नदियों के नाम पर रखा गया है इसलिए इनके पानी से तैयार महाप्रसाद बहुत ही शुद्ध और पवित्र होता है. जगन्नाथ भगवान को नियमित रूप से 6 वक्त भोग लगाया जाता है जिसमें 56 तरह के व्यंजन शामिल होते हैं.
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