रायपुर. महिला शोषण, अपराध व घरेलू हिंसा में न्याय और जागरुकता का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ में महिला पर होने वाले अपराधों का ग्राफ घटा है. पुलिस, सामाजिक संगठन और सरकार ने मिलकर महिलाओं की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को लेकर प्रसास किए. महिलाओं पर अपराध पहले भी हुआ करते थे, जिसके साथ शोषण भी होता था, वो लोकलाज के भय से सामने नहीं आती थी, लेकिन अब जागरुकता बढ़ गई है. इसमें अहम भूमिका राज्य सरकार की योजना निभा रही है.

हमर अंगना में मिल रहा न्याय
हमर अंगना योजना के तहत घरेलू हिंसा, महिला उत्पीडऩ के खिलाफ अधिकार के प्रति महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है. राज्य व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के बैनर तले अधिवक्ता व न्यायाधीश गांव-गांव में शिविर लगाकर महिलाओं को उनके अधिकार से परिचित करा रहे हैं और न्याय दिला रहे हैं. प्रदेशभर में एक वर्ष में 280 महिलाओं को न्याय दिलाने के साथ ही इनका घर बसाने का काम किया गया है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट में प्रदेश 12वें स्थान पर
देशभर में हुई दुष्कर्म के मामलों में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ देश में 12वें नंबर पर है. दुष्कर्म की घटनाओं में प्रदेश में 16 प्रतिशत की कमी आई है. वर्ष 2016, 2017 एवं 2018 तीन वर्षों में जहां शीलभंग के 5523 अपराध घटित हुए हैं. वहीं वर्ष 2019, 2020 एवं 2021 में 4575 अपराध घटित हुए हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है.

यहां स्थिति चिंताजनक
छत्तीसगढ़ में आईपीसी और स्पेशल लोकल स्पेशल एंड लोकल छत्तीसगढ़ में आईपीसी और स्पेशल एंड लोकल लॉ के मुताबिक 2019 में 96561, 2020 में 103173 और 2021 में 110633 केस दर्ज हुए. यह सभी हत्या, बलात्कार, अपहरण, दंगा, लूट जैसे मामले हैं. इन्हें संज्ञेय अपराध की कैटेगरी में आते हैं.

महिलाओं के विरुद्ध मामले कम
अपहरण में वर्ष 2017 एवं 2018 में अपराध दर 8 प्रतिशत और 8.6 प्रतिशत थी, जो कम होकर वर्ष 2020 में 6.9 प्रतिशत है. वर्ष 2017 एवं 2018 में देश में नवां एवं दसवां स्थान रहा है, जो 2019 एवं 2020 में तेरहवां एवं बारहवां स्थान हो गया है.

असम और दिल्ली महिलाओं के लिए असुरक्षित!
देश में साल 2021 में 2020 के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,28,278 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज हुए थे. सबसे असुरक्षित राजधानी दिल्ली है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले असम में सामने आए है.

क्या है इस दिन का इतिहास
25 नवंबर 1960 में तीन बहनों द्वारा डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध किया गया था. तब उन्हें बेरहमी से मरवा दिया गया. महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने और तीनों बहनों की पुण्यतिथि के रूप में 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अधिकारिक प्रस्ताव के रूप में अपनाया है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना और महिलाओं के बुनियादी मानवाधिकारों व लैंगिक समानता के विषय में जागरूक करना है.

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