कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर में शनिवार को अंतरराष्ट्रीय ग्वालियर साहित्य उत्सव (International Gwalior Literature Festival) का आगाज हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव (Higher Education Minister Dr. Mohan Yadav( ने किया। साहित्य जगत के इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में देश-विदेश के साहित्यकारों का संगम हुआ। इसके जरिये ग्वालियर चम्बल अंचल के डकैतों वाली पहचान और गोलियों की धाक वाली छवि को बदलने की ओर भी कदम उठाये गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) के संरक्षण में संचालित उद्भव सांस्कृतिक और क्रीड़ा संस्थान ने ग्वालियर में पहला “अंतरराष्ट्रीय ग्वालियर साहित्य उत्सव” का आयोजन कराया जा राह है। इसमें इंग्लैंड के साहित्य की खुशबू बिखरी। साथ ही नेपाल की संस्कृति और सभ्यता के भी दर्शन देखने मिली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट (Indian Institute of Tourism and Travel Management) के सभागार में शुरू हुआ यह साहित्य उत्सव चार दिन चलेगा। साहित्य उत्सव में इंग्लैंड की डॉक्टर परीन सोमानी भी शामिल हुई। इस दौरान वे इंग्लैड के लिटरेचर सहित भारतीय संस्कृति और सभ्यता को आधार बनाकर अपने साहित्य की प्रस्तुति देंगी।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ. केशव पाण्डेय ने बताया कि अभी तक पूरे देश में ग्वालियर चंबल अंचल की पहचान डकैतों के रूप में देखी जाती रही है। जबकि ग्वालियर से हिंदी साहित्य (Hindi literature) के कई बड़े चेहरे जिनमें महाकवि भवभूति रामगोपाल तिवारी, महाकवि बिहारी, साहित्य शिरोमणि पद्माकर से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और रामकुमार चतुर्वेदी चंचल आते हैं। ऐसे में देश के हिंदी साहित्य में ग्वालियर का अमूल्य स्थान है। यही कारण है कि ग्वालियर में अंतरराष्ट्रीय पाली ईयर साहित्य उत्सव का आयोजन हुआ है जिसके जरिए ग्वालियर की पहचान हिंदी साहित्य के रूप में लोगों तक पहुंचेगी।
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