रायपुर। झीरम घाटी नक्सल हमला मामले में भूपेश सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि घटना के पीछे की साजिश का पर्दाफाश देश के लिए बेहद जरूरी है. दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाना चाहिए. इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. रमन ने कहा कि घटना के संदर्भ में सरकार के मंत्रियों ने यदि व्यक्तिगत तौर पर किसी तरह का आक्षेप लगाया होगा, तो मैं निश्चित तौर पर कानूनी कार्रवाई करूंगा.

रमन सिंह ने घटना के संबध में सिलसिलेवार जानकारी देते हुए कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया है. रमन सिंह ने कहा कि 25 मई 2013 में बस्तर के झीरम में नक्सलियों ने नरसंहार किया था. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ला समेत 32 लोगों की हत्या की थी. यह देश की सबसे बड़ी घटना थी. मुझे याद है इन सभी विषयों को लेकर उस वक़्त ढेर सारी चर्चा हुई थी. तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री सुशील शिंदे यहां आये थें. लौटने के बाद टेलीफोनिक सहमति ली कि क्या एनआईए से जांच करा सकते है? मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी सहमति दी थी.

उन्होने कहा कि एनआईए का गठन यूपीए सरकार न आतंकवाद जैसी घटना की व्यापक जांच के लिए किया गया था. इसलिए ही शायद शिंदे जी ने यह निर्णय लिया होगा कि झीरम की जांच एनआईए को दिया जाए. यह केंद्र का निर्णय था. हमने तब भी आपत्ति दर्ज नहीं की थी आज भी नही है. हाईकोर्ट तक इस बात की याचिका लगाई लेकिन हाईकोर्ट ने खारिज किया. मुझे यह समझ नहीं आता कि एसआईटी का गठन कर दे. एनआईए से बेहतर जांच कर सकता है एसआईटी ये उनकी सोच है. ज्यूडिशियल कमीशन बना. कमीशन ने बार-बार पेपर के जरिये जानकारी दी. यह कहा कि जिसके पास जो भी तथ्य हैं, घटना में जो मौजूद थे. यदि कुछ है तो कमीशन को दिया जाए. जो जीवित थे उनमें से एक मंत्री भी बन गए हैं. जो तथ्य आये उसके आधार पर कमीशन ने काम किया.

रमन सिंह का कहना है कि 16 जून 2020 को एनआईए ने एक याचिका लगाई. 7 साल बाद जितेंद्र मुदलियार ने एफआईआर दर्ज की थी. एनआईए ने कहा कि जो भी तथ्य है उसकी हम जांच करा लेंगे. आज भी जो लोग दावा करते थे कि हमारे पास सबूत है. बेनकाब करेंगे. ये षड्यंत्र है. षड्यंत्र को छिपाना भी अपराध है. उस वक़्त सीबीआई जांच विधानसभा की चर्चा के दौरान आया था. हमने कहा था कि हम आग्रह करेंगे. सीबीआई ने जांच करने से मना कर दिया. उन्हें लगा कि उनसे बेहतर एजेंसी जांच कर रही है. तब के जितने अधिकारी पोस्टेड थे आज प्रमोशन पाकर इस सरकार में काम कर रहे हैं. दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए. इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. इस घटना के पीछे की साजिश का पर्दाफाश होना ही चाहिए. जिसका भी हाथ है उसे सामने लाने का प्रयास होगा. यदि व्यक्तिगत नाम लेकर किसी तरह का आक्षेप लगा होगा तो निश्चित तौर पर मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा.