पुरी. ओडिशा के पुरी जिले में बलांगा पीड़िता के अस्पताल में बयान दर्ज करने से संबंधित वायरल वीडियो की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है. यह जानकारी पुरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पिनाक मिश्रा ने रविवार को दी.

मीडिया से बातचीत में एसपी मिश्रा ने बताया कि वीडियो को वायरल करने वालों के खिलाफ जांच के लिए साइबर टीम की सहायता ली जाएगी. साथ ही, वीडियो की प्रामाणिकता की भी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा, “चूंकि पीड़िता (मृतक लड़की) नाबालिग थी, इसलिए उसका नाम या वीडियो सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 74 का उल्लंघन है.”
एसपी ने बताया कि इस घटना की जांच अंतिम चरण में है. पीड़िता का बयान कानून के अनुसार मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया था. पीड़िता के परिवार और रिश्तेदारों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है. उन्होंने कहा कि कुछ फोरेंसिक मेडिकल रिपोर्ट्स का इंतजार है, जिसके बाद जांच पूरी होने पर सभी जानकारी कोर्ट को सौंपी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि यह वायरल वीडियो कथित तौर पर नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में पीड़िता के इलाज के दौरान एक महिला अधिकारी द्वारा बयान दर्ज करने का है. सवाल उठ रहे हैं कि सख्त पाबंदियों के बावजूद यह वीडियो कैसे रिकॉर्ड हुआ और सोशल मीडिया पर कैसे वायरल हो गया. कानून के अनुसार, केवल कुछ पुलिस कर्मियों को ही पीड़िता का बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति थी. इस संवेदनशील मामले में अस्पताल कर्मचारियों को भी प्रवेश की अनुमति नहीं थी. फिर भी, वीडियो रिकॉर्ड और लीक होने के पीछे का मकसद और जिम्मेदार लोगों की पहचान की जा रही है.
क्या है पूरा मामला ?
गौरतलब है कि पीड़िता एक 15 वर्षीय नाबालिग थी, जिसे कथित रूप से 19 जुलाई 2025 को तीन अज्ञात युवकों द्वारा भर्गवी नदी के किनारे अगवा करके उस पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर जिंदा जला दिया था. घटना के बाद पीड़िता को पहले एम्स भुवनेश्वर और फिर दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया. लेकिन 2 अगस्त 2025 को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई है. एम्स में इलाज के दौरान मामले में नियमों के खिलाफ वीडियो रिकॉर्ड कर बयान दर्ज कर लिया गया, जो वायरल भी कर दी गई.
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