रतलाम। IPL 2025: कल दिल्ली कैपिटल्स (Delhi Capitals) ने रोमांचक मुकाबले में Lucknow Super Giants को 1 विकेट से शिकस्त दे दी। इस खेल में जीत के हीरो बनकर उभरे आशुतोष शर्मा (Ashutosh Sharma), जिन्होंने 5 छक्कों और 5 चौकों की मदद से 31 गेंद में नाबाद 66 रन जड़ दिए और विरोधी टीम के मुंह से जीत छीन ली। आशुतोष शर्मा टीम से बाहर थे। लेकिन एक खिलाड़ी की चोट ने उन्हें ये बड़ा मौका दे दिया। आइये जानते हैं इस 27 साल के स्टार क्रिकेटर के बारे में जिसका जीवन धोनी की तरह दिखाई देता है और उनकी लाइफ के पन्नों में कहीं न कहीं युवराज सिंह का नाम भी शामिल है। 

रतलाम में हुआ था आशुतोष शर्मा का जन्म

आशुतोष शर्मा मध्य प्रदेश के एक छोटे से जिले रतलाम से आते हैं। उनका जन्म 15 सितंबर, 1998 को हुआ था। आशुतोष बचपन से ही क्रिकेट के करीब रहे हैं और इस खेल के शौकीन भी थे। वह नमन ओझा के बहुत बड़े फैन हैं, जिनका ताल्लुक भी मध्य प्रदेश से है। उनकी पढ़ाई-लिखाई इंदौर में हुई। उन्होंने मध्य प्रदेश के लिए डेब्यू किया था। 

जीवन में कोच बना विलेन

कहते हैं कि क्रिकेट में आपका कोच ही आपका भगवान होता है। उसी की मदद से खिलाड़ी उस काबिल बन पाता है कि खुद को साबित कर सके। लेकिन आशुतोष के कहानी में ऐसा नहीं था। उनके कोच चंद्रकांत पंडित ने विलेन बनकर उनका जीवन तबाह करना चाहा। कोलकाता नाइट राइडर्स के कोच चंद्रकांत पंडित कभी मध्यप्रदेश की टीम के मुख्य कोच हुआ करते थे। उस समय उन्हें परफॉर्मेंस करने के बावजूद टीम में जगह नहीं मिल रही थी। उसी कोच की वजह से साल 2020 में उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। 

डिप्रेशन में जा रहे थे आशुतोष 

आशुतोष के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया कि वह डिप्रेशन का शिकार हो गए। आशुतोष ने उस समय को याद करते हुए मीडिया को बताया था, “एक समय ऐसा भी था जब मुझे क्रिकेट के मैदान का अनुभव भी नहीं लेने दिया जाता था। मैं जिम जाता और अपने होटल के कमरे में आराम करता। मैं डिप्रेशन में डूबता जा रहा था और किसी ने मुझे नहीं बताया कि मेरी गलती क्या थी। मध्य प्रदेश में एक नया कोच शामिल हुआ था और उसकी पसंद-नापसंद बहुत सख्त थी और ट्रायल मैच में 45 गेंदों में 90 रन बनाने के बावजूद मुझे टीम से बाहर कर दिया गया। था। मैंने पिछले सीजन में मुश्ताक अली ट्रॉफी में 6 मैचों में तीन फिफ्टी लगाई थी, फिर भी मुझे मैदान पर जाने की अनुमति नहीं दी गई। मैं बहुत डिप्रेस्ड था।”

भगवान बनकर जीवन में आए बचपन के कोच 

जिस वक्त आशुतोष डिप्रेशन में जा रहे थे, उस समय उनका एकमात्र सहारा बचपन के कोच भूपेन चौहान बने। जिनके समर्थन ने उन्हें कठिन समय में प्रेरित किया। आशुतोष ने 2023 में अपना कोच खो दिया।

धोनी की तरह रेलवे के लिए खेला, नमन ओझा ने की मदद

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शुरुआती समय में रेलवे के लिए खेला था। इसी तरह आशुतोष ने भी रेलवे के लिए खेला। आशुतोष को रेलवे से नौकरी का ऑफर मिला जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। 2023 सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान इस बल्लेबाज ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ सिर्फ 11 गेंदों में 50 रन बनाकर सबसे तेज टी 20 फिफ्टी बनाने के युवराज सिंह के रिकॉर्ड की बराबरी की। भारत के लिए खेल चुके विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा ने आशुतोष को इस मुकाम तक पहुंचने में बहुत मदद की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पंजाब में खेलने के दौरान भी इम्पैक्ट प्लेयर बनकर जिताया था खेल

आशुतोष शर्मा इससे पहले पंजाब किंग्स के लिए खेल चुके हैं। उन्होंने पिछले सीजन गुजरात टाइटंस के खिलाफ भी ऐसा ही प्रदर्शन किया था। उस मैच में भी आशुतोष इम्पैक्ट प्लेयर के तौर पर उतरे थे और उन्होंने शशांक सिंह के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई थी। पंजाब ने हालांकि इस सीजन के लिए आशुतोष को रिटेन नहीं किया था और दिल्ली ने उन्हें खरीदा था। 

टीम से बाहर रहने के बाद कैसे मिला बैटिंग का मौका?

 दरअसल, फील्डिंग के दौरान मुकेश कुमार बाउंड्री में तैनात हे। एक बॉल उनकी ओर आई और उनका संतुलन बिगड़ गया। जिसकी वजह से उनके पैर में चोट आ गई और वह बाहर हो गए। बैटिंग में जब बड़े खिलाडी आउट हो गए, तब मैदान में उतरे आशुतोष कुमार। उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस से ऐसा खेल दिखाया कि Lucknow Super Giants की टीम चारों खाने चित हो गई।

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