निशा मसीह,रायगढ़. जिले में उद्योगों पर पानी के उपयोग करने के बाद उसकी राशि जमा नहीं होनें पर विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है. लेकिन बरसों से कुछ उद्योग पानी का शुल्क जमा करने के लिए आना-कानी कर रहे है. यहा तक की इन उद्योगों ने अब राशि जमा करने से बचने के लिए न्यायालय की शरण ली हैं.
इतना ही नहीं कुछ उद्योग ऐसे भी है, जो धड़ल्ले से पानी का उपयोग कर तो रहें है लेकिन जब विभाग उपयोग किये गये पानी का शुल्क मांगता है तो उद्योग प्रबंधन द्वारा कहा जाता है कि उन्होंने मागें गये शुल्क के हिसाब से पानी उपयोग ही नहीं किया है, और इस तरह से ये उद्योग पानी का शुल्क जाम करने में भी देरी करते है.
जिले के करीब 28 उद्योग पर 10 करोड़ से भी अधिक की राशि बकाया है. इन उद्योगों में बड़े उद्योग जिंदल, नलवा, जिंदल स्टील पावर, इंड सिनर्जी, मोनेट इस्पात, एमएसपी स्टील और कोरबा वेस्ट शामिल है. कई छोटे उद्योग भी लंबे समय से भू-गर्भ से पानी लेकर सिंचाई विभाग को नियमानुसार शुल्क नहीं जमा कर रहे हैं.
इस मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सर्वाधिक बकाया ग्राम कोटमार स्थित इंड सिनर्जी व इंड एग्रो पर है, जिसकी राशि लगभग 2 करोड़ रूपए है. सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री एनके गोयल का कहना है, कि इस मामले में पहले भी कई नोटिस के जरिए बकाया राशि जमा करने के लिए कहा गया था. लेकिन उद्योग प्रबंधन न्यायालय में चला गया है. जहां उसकी सुनवाई जारी है. बातचीत के दौरान एनके गोयल ने बताया कि कुछ उद्योगों का पैसा जमा हो रहा है. लेकिन भू-गर्भ का दोहन करने वाले उद्योग नियम का पालन नहीं कर रहे हैं, जिस पर प्रदेश शासन के पास मामला भेजा गया है.