रायपुर. धन स्वास्थ्य का कष्ट ना होने के बाद भी पारिवारिक शांति ना हो, घर में लोगों के आपस के सबंध अच्छे ना हो, पारिवारिक सदस्यों में हमेशा मतभेद रहता हो, लोग एक दूसरे से उखड़े उखड़े रहते हो, हर बात में वाद विवाद हो, छोटी-छोटी बातों पर मतभेद उभरे तो यह सब गृह क्लेश का कारण होता है. जब आपस में बात करते ही झगड़े होने लगे, एक दूसरे की बातों को काटना या विरोध करना आदत बन जाए. तब पारिवारिक सदस्यों में विशेषकर जो परिवार में मुखिया हो उसे ग्रह विश्लेषण जरूर कराना चाहिए.

घरेलू शांति बहुत आवश्यक है सुख समृद्धि के साथ ही साथ रिश्तो में प्यार और अंडरस्टैंडिंग बहुत ही जरूरी है. अगर यह नहीं है तो दूसरों में अपनापन ढूंढते हैं और इससे पारिवारिक रिश्ते और कमजोर होते हैं. इसलिए जरूरी है कि परिवार में शांति और भाईचारा बना रहे.

सबसे पहले जाने की आपस में ही क्यों लड़ते रहते हैं, क्यों एक दूसरे को बुरा बोल कर या विरोध करके ही संतुष्टि मिलती है. इसका ज्योतिषी कारण देखा जाए तब परिवार के किसी भी जातक की कुंडली देखें तो यह सैंपल की तरह दिखाई देगा. किसी जातक की कुंडली में द्वितीय चतुर्थ अष्टम एवं भाग्य स्थान अथवा इन स्थानों का स्वामी राहु से पाप आक्रांत होकर अपने स्थान से छठे आठवें और बारहवें स्थान में हो जाए तब ऐसे घर में अशांति और मतभेद होता है.

विशेषकर शनि और राहु की दशा चल रही हो तब यह मतभेद जरुर उभरकर निकलता है और रिश्ते आपस में खराब से खराब होते जाते हैं. जैसे शनि द्वितीय होकर राहु से आक्रांत हो और अष्टम या द्वादश में हो जाए तब आपस में एक दूसरे का विरोध दिखाई देता है. जिसका कारण इगो होता है.

अगर शुक्र राहु से आक्रांत हो तब धन को लेकर एक दूसरे की अपेक्षाएं बढ़ जाती है. गुरु हो तब दूसरे को लगता है कि मेरा मान कम हो रहा है. इसी तरीके से एक दूसरे की तुलना अशांति का कारण होती है. इस प्रकार किसी जातक की कुंडली में दूसरे चतुर्थ या अष्टम भाव में राहु हो तब जरूर अशांति और इन दशा में पारिवारिक अशांति या घरेलू कलह बहुत ज्यादा दिखाई देता है.

अगर धन और स्वास्थ्य अच्छा हो और पारिवारिक कलह बढ़ रहा हो या एक दूसरे के साथ रिश्ते खराब हो रहे हो तब जरूर कुंडली दिखाकर ग्रह शांति कराना चाहिए. इसके लिए पहली रोटी गाय के लिए निकालें. पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें. और सभी प्रकार की सुख समृधि हेतु मंगल का व्रत करें और सुंदर कांड का पाठ करें.