दीपावली के आते ही पटाखों पर बैन को लेकर बहस छिड़ जाती है. कई राज्यों ने ग्रीन पटाखों की इजाजत दी है, जबकि कई राज्यों ने इसपर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है.
इसी बीच करोड़ों भक्तों के सदगुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक ने पटाखों पर बैन को लेकर विरोध किया है. इसे लेकर उन्होंने एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट में पोस्ट किया है. उन्होंने अपने बचपन की कहानी बताते हुए कहा- मैं सितबंर से ही पटाखे को लेकर प्लान बनाने लगता था.
सदगुरु कहा- बच्चों से पटाखे चलाने की खुशी ना छीनो. उन्हें पटाखे जलाने का अनुभव लेने दो. अगर प्रदूषण कम करना ही है तो घर के बड़ों को पटाखों से दूरी बना लेनी चाहिए. सदगुरु ने कहा कि प्रदूषण कम करने का एक आसान तरीका भी बताया है. देखें पूरा वीडियो उन्होंने क्या कहा
सदगुरु के मुताबिक जाने खुश रहने का सबसे 10 आसान तरीका
खुश रहने का सबसे आसान तरीका क्या है? हमें लगता है कि खुश रहने के लिए कुछ खास तरह के हालात होने चाहिए, तभी हम खुश रह सकते हैं. सद्गुरु से10 टिप्स जानें जिनकी मदद से हम आनंद पा सकते हैं.
सद्गुरुहम जीवन में जो भी करते हैं, खुशी पाने के लिए करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से खुश रहना काफी मुश्किल काम लगता है. हमें लगता है कि खुश रहने के लिए कुछ खास तरह के हालात होने चाहिए, तभी हम खुश रह सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. सद्गुरु बता रहे हैं कुछ आसान से नुस्खे जिन्हें अपना कर हर हाल में, हम खुश रह सकते हैं.
सदगुरु: जब आप बुनियादी रूप से खुश होते हैं, जब आपको खुश रहने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता, तो आपके जीवन के हर आयाम में बदलाव आ जाएगा. आपके अनुभवों में और खुद को व्यक्त करने के तरीकों में बदलाव आ जाएगा. आपको पूरी दुनिया बदली हुई लगेगी. आपका अब कोई निहित स्वार्थ नहीं होगा क्योंकि चाहे आप कुछ करें या न करें, चाहे आपको कुछ मिले या न मिले, चाहे कुछ हो या न हो, आप स्वभाव से ही आनंदित होंगे. जब आप अपने स्वभाव से ही खुश होते हैं, तो आप जो भी करेंगे, वह बिल्कुल अलग स्तर पर होगा.
एक खुशहाल जीवन के लिए 10 साधन
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ध्यान रखें कि खुश रहना आपकी बुनियादी जिम्मेदारी है
किसी इंसान की पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी एक खुशमिजाज प्राणी होने की है. खुश रहना जीवन का चरम पहलू नहीं है. यह जीवन का बुनियादी पहलू है. अगर आप खुश नहीं हैं, तो आप अपने जीवन में क्या कर सकते हैं ? एक बार आप खुश हों, तभी दूसरी महान संभावनाएं खुलती हैं.
चाहे आप जो भी करें, आप अपने अंदरूनी गुणों को ही विस्तार देते हैं और जगाते हैं. चाहे आप इस बात को पसंद करें या नहीं, हकीकत यही है. जब तक कि कोई महत्वपूर्ण चीज आपके भीतर घटित नहीं होती, आप दुनिया के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण नहीं कर सकते. इसलिए अगर आप दुनिया के बारे में चिंतित हैं, तो पहली चीज आपको यह करनी चाहिए कि खुद को एक खुशमिजाज प्राणी में रूपांतरित करें.
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पहचानें कि खुशी आपकी मूल प्रकृति है
सदगुरु कहते है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने जीवन में क्या कर रहे हैं, चाहे वह कारोबार हो, सत्ता, शिक्षा या सेवा, आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आपके भीतर कहीं गहराई में एक भावना है कि इससे आपको खुशी मिलेगी. इस धरती पर हम जो कुछ भी करते हैं, वह खुश रहने की इच्छा से करते हैं, क्योंकि यह हमारी मूल प्रकृति है. जब आप बच्चे थे, तो आप यूं ही खुश थे. वही आपकी प्रकृति है. खुशी का स्रोत आपके भीतर है, आप उसे हमेशा के लिए एक जीवंत अनुभव बना सकते हैं.
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चीजों का महत्व पहचानें
आज सुबह, क्या आपने देखा कि सूर्य बहुत अद्भुत तरीके से उगा? फूल खिले, कोई सितारा नीचे नहीं गिरा, तारामंडल बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं. सब कुछ व्यवस्थित है. आज समूचा ब्रह्मांड बहुत बढ़िया तरीके से काम कर रहा है मगर आपके दिमाग में आया किसी विचार का एक कीड़ा आपको यह मानने पर मजबूर कर देता है कि आज बुरा दिन है.
कष्ट मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर इंसान इस जीवन के प्रति सही नजरिया खो बैठे हैं. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्व की प्रक्रिया से कहीं बड़ी हो गई है या सीधे-सीधे कहें तो आपने अपनी रचना को स्रष्टा की सृष्टि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है. यह सारी पीड़ा का बुनियादी स्रोत है. हम इस बात की पूरी समझ खो बैठे हैं कि यहां जीवित रहने के क्या मायने हैं. आपके दिमाग में आया कोई विचार या आपके मन की कोई भावना फिलहाल आपके अनुभव की प्रकृति को तय करती है. और यह भी हो सकता है कि आपके विचार और भावना का आपके जीवन की सीमित हकीकत से कोई लेना-देना न हो. पूरी सृष्टि बहुत बढ़िया तरीके से घटित हो रही है मगर सिर्फ एक विचार या भावना सब कुछ नष्ट कर सकती है.
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मन या दिमाग को उसके असली रूप में देखें
जिसे आप ‘मेरा मन’ कहते हैं, वह असल में आपका नहीं है. आपका अपना कोई मन नहीं है. कृपया इस पर ध्यान दें.जिसे आप ‘मेरा मन’ कहते हैं, वह बस समाज का कूड़ेदान है. कोई भी और हर कोई जो आपके पास से गुजरता है, वह आपके दिमाग में कुछ न कुछ डाल जाता है. आप वाकई यह चुन नहीं सकते कि किससे आपको चीजें ग्रहण करनी हैं और किससे नहीं करनी. अगर आप कहते हैं, ‘मुझे यह व्यक्ति पसंद नहीं है’, तो आप किसी भी और से ज्यादा उस इंसान से ग्रहण करेंगे. आपके पास कोई चारा नहीं है. अगर आपको इस बात की जानकारी हो कि उसे ठीक करके कैसे इस्तेमाल करना है, तो यह कूड़ेदान उपयोगी हो सकता है. असर और जानकारी का यह ढेर, जो आपने जमा किया है, वह सिर्फ दुनिया में जीवित रहने के लिए उपयोगी है. आप कौन हैं, इससे उसका कोई संबंध नहीं है.
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मन से अपने बुनियादी अस्तित्व की ओर बढ़ें
सदगुरु के मुताबिक जब हम किसी आध्यात्मिक प्रक्रिया की बात करते हैं, तो हम मन से अपने बुनियादी अस्तित्व की ओर जाने की बात करते हैं. जीवन का संबंध इस सृष्टि से है जो यहां मौजूद है – उसे पूरी तरह जानना और उसके असली रूप में उसका अनुभव करना, अपने मनमुताबिक उसे विकृत न करना – ही जीवन है. अगर आप अस्तित्व की हकीकत की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो सरल शब्दों में आपको बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि जो आप सोचते हैं, वह महत्वपूर्ण नहीं है, जो आप महसूस करते हैं, वह महत्वपूर्ण नहीं है. आप जो सोचते हैं, उसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है. उसका जीवन के लिए कोई बड़ा महत्व नहीं है. मन बस उन फालतू चीजों में उलझा रहता है, जो आपने कहीं और से इकट्ठा किया है. अगर आपको वह महत्वपूर्ण लगता है, तो आप कभी उसके परे नहीं देख पाएंगे. आपका ध्यान स्वाभाविक रूप से उस दिशा में जाता है, जिसे आप महत्वपूर्ण मानते हैं. अगर आपके विचार और आपकी भावनाएं आपके लिए अहम हैं, तो स्वाभाविक रूप से आपका सारा ध्यान वहीं होगा. मगर यह सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक हकीकत है. इसका अस्तित्व में मौजूद चीजों से कोई लेना-देना नहीं है.
कष्ट हम पर बरसाया नहीं जाता, उसे पैदा किया जाता है. और उसे बनाने वाला कारखाना आपके मन में है. अब इस कारखाने को बंद करने का समय है.
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पाने की कोशिश न करें, अभिव्यक्त करना शुरू करेंः सदगुरु
आज हम इतने जोरशोर से खुशी की तलाश कर रहे हैं कि धरती का जीवन ही खतरे में पड़ गया है. खुशी की तलाश में न रहें. दुनिया में अपनी खुशी को अभिव्यक्त करना जानें. अगर आप मुड़कर अपने जीवन को देखें तो आपके जीवन के सबसे खूबसूरत पल वे थे जब आप अपनी खुशी को अभिव्यक्त कर रहे थे, न कि जब आप उसकी तलाश कर रहे थे. जो आप बचाते हैं, वह कभी आपका गुण नहीं होगा. जो आप फैलाते हैं, जो आप बिखेरते हैं, वह आपका गुण होगा. अगर आप अपनी खुशी को बचा-बचा कर रखेंगे, तो जीवन के अंत में कोई ऐसा नहीं कहेगा, ‘उसने अपने अंदर खुशी का एक-एक अंश बचा कर रखा, वह बहुत खुशी के साथ मरा.’ वे कहेंगे, ‘यह भयानक प्राणी अपनी जिंदगी में कभी मुस्कुराया तक नहीं.’ लेकिन अगर आप हर दिन अपनी खुशी और प्यार को फैलाएंगे, तो लोग कहेंगे, ‘अरे वह एक खुशमिजाज और प्यार करने वाला इंसान था.’
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सदगुरु कहते है मुस्कुराइए
सदगुरु कहते है कि सुबह जब आप उठते हैं, तो पहली चीज आपको यह करनी चाहिए कि आप मुस्कुराएं. किस पर? किसी पर नहीं. क्योंकि आप जगे, यह कोई छोटी बात नहीं है. लाखों लोग जो कल रात सोए थे, आज नहीं उठे, मगर आप और मैं उठे. क्या यह बहुत बढ़िया बात नहीं है कि आप जगे? इसलिए अपने जगने पर मुस्कुराइए. इसके बाद आस-पास देखिए और अगर कोई है, तो उन्हें देख कर मुस्कुराइए. बहुत सारे लोगों के साथ ऐसा हुआ कि उनका कोई प्रियजन आज सुबह नहीं जगा. आपको जो भी लोग प्यारे हैं, वे जगे. वाह! यह तो बहुत अच्छा दिन है, है न ? फिर बाहर जाइए और पेड़ों को देखिए. वे भी पिछली रात को नष्ट नहीं हुए.
बहुत से लोगों को यह अजीब लग सकता है, मगर आपको इसका महत्व तब पता चलेगा, जब आपका कोई प्रियजन सुबह नहीं उठेगा. इसका महत्व जानने के लिए तब तक का इंतजार न करें. यह कोई अजीब या हसने वाली बात नहीं है, यह सबसे कीमती चीज है – कि आप जीवित हैं और जो भी आपके लिए मायने रखता है, वह जीवित है. इस दुर्भाग्यपूर्ण रात जब इतने सारे लोग नहीं उठे और कितने सारे लोगों के प्रियजन नहीं उठे, तब आप और आपके प्रियजन उठ पाए, क्या यह शानदार चीज नहीं है? इसका महत्व समझें और कम से कम मुस्कुराएं. कुछ लोगों को प्यार से देखना सीखें.
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खुद को याद दिलाएं
बहुत से लोगों को यह सब भूलने में बस घंटा भर लगता है और जल्दी ही उनका रेंगने वाला दिमाग किसी को काटने के लिए आतुर हो जाता है. इसलिए हर घंटे खुद को एक खुराक दें – जीवन की अहमियत याद दिलाएं. अगर आप बहुत ही संवेदनहीन हैं, तो हर आधे घंटे में खुद को याद दिलाएं. अगर आप भीषण रूप से संवेदनहीन हैं, तो खुद को हर पांच मिनट पर याद दिलाएं. अपने आप को याद दिलाने में बस दस सेकेंड लगते हैं. आप इसे बस दो सेकेंड में भी कर सकते हैं – ‘मैं जीवित हूं, तुम जीवित हो. और क्या चाहिए?’
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जो अंदर है, उसे बदलेंः सदगुरु
वर्तमान में, आपके जीवन की गुणवत्ता उन कपड़ों से तय नहीं होती, जो आप पहनते हैं. वह आपकी शैक्षिक योग्यताओं, आपकी परिवार की स्थिति या आपके बैंक बैलेंस से तय नहीं होती. आपके जीवन की गुणवत्ता इस पर निर्भर करती है कि आप अपने भीतर कितने शांत और खुश हैं.
निश्चित रूप से जिसे भोजन नहीं मिलता और जिसके पास जीवित रहने के लिए जरूरी बुनियादी चीजों की कमी है, वह शारीरिक रूप से बहुत कष्ट में होगा. इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. ऐसे लोगों के लिए हमें उन बुनियादी चीजों की व्यवस्था करनी होगी. मगर बाकियों के लिए, उनकी जरूरतें एक अंतहीन सूची है. आपको लगता है कि कार चला रहा आदमी सड़क पर पैदल चल रहे आदमी से ज्यादा खुश है? नहीं. आपके पास क्या है, उससे यह तय नहीं होता. यह इस पर निर्भर करता है कि वे उस समय कैसा महसूस कर रहे हैं.
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दूसरों से तुलना करना छोड़ देंः सदगुरु
सदगुरु कहते है कि ज्यादातर लोग इसलिए दुखी नहीं होते क्योंकि उनके पास किसी चीज की कमी होती है. वे दुखी इसलिए होते हैं क्योंकि वे खुद की तुलना किसी और से करते हैं. आप एक मोटरबाइक चला रहे हैं, आप किसी को मर्सिडीज चलाते देखते हैं और खुद को दुखी कर लेते हैं. साइकिल पर चलने वाला कोई व्यक्ति आपको मोटरबाइक पर देखता है और यह उसके लिए लिमोसीन है. पैदल चलता कोई व्यक्ति साइकिल को देखकर सोचता है, ‘अरे वाह, अगर मेरे पास सिर्फ यह साइकिल होती, तो मैं अपनी जिंदगी में क्या-क्या कर लेता.’ यह एक बेवकूफाना खेल है जो चलता रहता है.
जो लोग खुश रहने के लिए बाहरी हालात पर निर्भर रहते हैं, वे कभी अपनी जिंदगी में सच्ची खुशी नहीं महसूस कर पाएंगे. निश्चित रूप से अब समय है कि हम अपने अंदर झांकें और देखें कि हम किस तरह खुशहाली में रह सकते हैं. जीवन के अपने अनुभव से आप साफ-साफ देख सकते हैं कि सच्ची खुशी आपको तभी मिलती है, जब आपके अंतर्मन में बदलाव आता है. जब आप खुश होने के लिए बाहरी स्थितियों पर निर्भर होते हैं, तो आपको समझना चाहिए कि बाहरी हालात कभी भी सौ फीसदी आपके अनुकूल नहीं होते. जब यह हकीकत है, तो कम से कम इस एक इंसान – यानि कि आप – को उस तरह रहना चाहिए, जैसे आप रहना चाहते हैं. अगर आप अपने अंदर उस तरह होते हैं, जिस रूप में आप खुद को रखना चाहते हैं, तो आप कुदरती तौर पर खुश होंगे. यह कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे आपको खोजना पड़े. अगर आप अपनी मूल प्रकृति में वापस चले जाते हैं, तो आप सिर्फ खुश ही रहेंगे.
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