भारत में अपनी नापाक हरकतों को आगे बढ़ाने के इरादे से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ बहुत तेजी से सक्रिय हो गई है। अब उसने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर मौजूद इंफ्लुएंसरों को अपने जाल में फंसाना तेज कर दिया है। ‘आपरेशन सिंदूर’ के दौरान यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, उसके बाद जसबीर सिंह और अब हरियाणा के यूट्यूबर वसीम अकरम के आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़े जाने से भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ये ट्रेंड पकड़ा है। खुफिया अधिकारियों के मुताबिक यह संख्या केवल बानगी भर है।

300 से 400 इंफ्लुएंसरों का टारगेट फिक्स

अनुमान के मुताबिक आइएसआइ ने 300 से 400 इंफ्लुएंसरों पर अपना टारगेट फिक्स कर रखा है। इंफ्लुएंसरों के पकड़े जाने से ये भी स्पष्ट है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने अपने काम के तरीके में काफी बदलाव किया है। आइएसआइ को हनी ट्रैप और ब्लैकमेल से ज्यादा कारगर और खतरनाक ये इंफ्लुएंसर नजर आने लगे हैं। इनके जरिये सूचनाएं हासिल करने के साथ-साथ प्रोपेगैंडा फैलाना भी आसान माना जाता है। इसके पीछे कारण ये है कि इन पर शक की गुंजाइश काफी कम रहती है। यही वजह रही कि आपरेशन सिंदूर के दौरान आइएसआइ को भारतीय सैन्य गतिविधियों और आर्मी कैंटों के बारे में रियल टाइम सूचनाएं मिल रही थीं।

पैसे का नहीं लाइक्स और व्यूज का देते हैं लालच

इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) के अधिकारियों के मुताबिक दिलचस्प ये है कि इंफ्लुएंसर पैसे के लालच में नहीं, बल्कि लाइक्स और व्यूज के चक्कर में झांसे में आ जाते हैं। इसमें पैकेज डील का लालच दिया जाता है, जिसमें पैसा, मुफ्त यात्रा और लाइक्स व व्यूज की भरमार का पूरा सेट शामिल होता है। जांच एजेंसियां तमाम इंफ्लुएंसरों पर करीबी नजर रख रही हैं और ये समझने की कोशिश कर रही हैं कि इन इंफ्लुएंसरों के जरिये कैसा कंटेंट पोस्ट कराया जा रहा है। जरूरी नहीं कि आइएसआइ इनसे भारत विरोधी कंटेंट ही तैयार कराए। इनका कंटेंट प्रो-पाकिस्तानी हो सकता है, जिसे पाकिस्तान में व्यापक पैमाने पर प्रसारित किया जा सकता हो ताकि इंफ्लुएंसरों को भर-भरकर लाइक्स और व्यूज मिलें।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंफ्लुएंसरों को करती है टारगेट

इंफ्लुएंसरों की पहचान के लिए पाकिस्तान में विशेष टीम भारतीय खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला कि पाकिस्तान में एक टीम केवल इसलिए ही बनाई गई है, कि वे अपने काम लायक इंफ्लुएंसरों की पहचान कर सकें। इन लोगों की गहन छानबीन की जाती है और एक बार जब ये पक्का हो जाता है कि इनको बरगलाया जा सकता है, तब भारत में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग को इस बारे में बताया जाता है। इसके बाद उच्चायोग के अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि वे इन इंफ्लुएंसरों के संपर्क में रहें।

इंफ्लुएंसरों को पाकिस्तान की यात्रा का दिया जाता है प्रस्ताव

परिचय बढ़ने के बाद इंफ्लुएंसर को उच्चायोग में मिलने जुलने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान की यात्रा का प्रस्ताव दिया जाता है, जिसके लिए किराए और वीजा से लेकर रहने और खाने तक का पूरा इंतजाम किया जाता है। प्रोपेगैंडा वीडियो बनवाए जाते हैं एक अधिकारी ने बताया कि आइएसआइ केवल उन इंफ्लुएंसरों की पहचान करती है, जिन्हें केवल लाइक्स और व्यूज से ज्यादा मतलब रहता है। मुफ्त यात्रा और ढेरों लाइक्स और व्यूज दिलाने का लालच इनको जाल में फंसाने के लिए काफी होता है। एक बार जब वे पाकिस्तान पहुंचते हैं, तो उनसे पाकिस्तान की प्रशंसा वाले वीडियो बनाने के लिए कहा जाता है, जैसे कि पाकिस्तानी संस्कृति या खानपान पर आधारित कंटेंट तैयार करना। आइएसआइ ये भी सुनिश्चित करती है कि इन इंफ्लुएंसरों को ऐसे कंटेंट के लिए बढि़या पैसा भी दिया जाए।

ऐसे होता है ब्लैकमेल का खेल

वीडियो के आधार पर इन लोगों को ब्लैकमेल किया जाता है और इनसे सूचनाएं निकलवाई जाती हैं, जिन्हें पाकिस्तान भेजना होता है। जब वे इस ¨बदु तक पहुंच जाते हैं, तो फिर वहां से लौटना नामुमकिन हो जाता है। हालांकि, आइएसआइ इन इंफ्लुएंसरों से प्रोपेगैंडा वाले वीडियो ज्यादा बनवाती है। इनके जरिये आइएसआइ ये साबित करने की कोशिश करती है कि पाकिस्तान उतना भी बुरा नहीं है, जैसा कि दिखाया जाता है। इसके अलावा पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को ढंकने के लिए भी प्रोपेगैंडा वीडियो बनवाए जाते हैं।

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