यू तो भगवान कृष्ण के लाखों-करोड़ों भक्तों को आपने देखा होगा. लेकिन आज हम आपको भगवान श्री कृष्ण की एक फॉरेनर भक्त से मिलवाते है जो वर्षों पर अपनी संसारिक मोह माया त्याग दी और भगवान श्री कृष्ण की शरण में पहुंच गई.
भगवान श्री कृष्ण की ये फॉरेनर भक्त कहती है कि भारतीय संस्कृति सबसे अच्छी है पूरी दुनिया में इस वैदिक संस्कृति को कभी नहीं छोड़ना चाहिए. भारत माँ है ये सबसे पवित्र सबसे पुण्य स्थान है और इन्होंने क्या-क्या कहा सुने देंखे ये पूरा Video.
दुनिया में कृष्ण भक्ति का सबसे बड़ा आंदोलन और संगठन है इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन. इनका सबसे बड़ा मंत्र है ‘हरे रामा-हरे रामा, राम-राम हरे हरे, हरे कृष्ण-हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे’. दुनियाभार में यह मंत्र जपते-गाते हुए कई देशी और विदेशी लोग आपको न्यूयॉर्क, लंदन, बर्लिन, मास्को, मथुरा, वृंदावन की सड़कों पर मिल जाएंगे.
आप यूट्यूब पर iscon video hare krishna लिखें और आप देखेंगे कि किस तरह छोटे से समूह से प्रारंभ हुआ यह जप एक बहुत ही सुंदर और बड़ा आंदोलन बन चुका है. सचमुच जग में सुंदर है दो ही नाम चाहे कृष्ण कहो या राम. इस्कॉन के अनुयायी विश्व में गीता और हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं.
किसने और कब शुरु किया इस्कॉन?
इस आंदोलन की शुरुआत श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने की थी. स्वामी प्रभुपादजी ने ही इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी. स्वामी प्रभुपादजी का जन्म 1 सितम्बर 1896 को कोलकाता में हुआ. 55 बरस की उम्र में संन्यास लेकर पूरे विश्व में स्वामी जी ने हरे रामा हरे कृष्णा का प्रचार किया. 14 नवम्बर 1977 को वृंदावन में 81 वर्ष की उम्र में उन्होंने देह छोड़ दी.
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