नई दिल्ली . इसरो इस महीने के अंत में ब्रिटेन स्थित संचार कंपनी वनवेब के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में 36 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार है. यह उपग्रह अंतरिक्ष के जरिए इंटरनेट उपलब्ध कराने में मददगार साबित होंगे. वनवेब ने ट्वीट किया, भारत से उत्साहित करने वाली खबर आ रही है, हम 36 उपग्रहों का प्रक्षेपण करने जा रहे हैं. सीईओ मासिमिलिआनो लादोवाज ने कहा, लक्षित तारीख 26 मार्च है. बता दें कि वनवेब के 36 उपग्रह फ्लोरिडा से 16 फरवरी को भारत पहुंचे थे.

अंतरिक्ष में बिताते हैं 15 मिनट

यह पता नहीं चल सका है कि यात्री कितनी ऊंचाई या किस कक्षा तक जाएंगे और कितना समय बिताएंगे. आमतौर पर पर्यटक अंतरिक्ष पर लगभग 15 मिनट बिताते हैं. निजी अंतरिक्ष एजेंसियां ब्लू ऑरिजिन, वर्जिन गैलेक्टिक और स्पेसएक्स अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में काफी समय से काम कर रही हैं.

स्पेस टूरिज्म के मॉड्यूल पर आगे बढ़ रहा है भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुखिया एस. सोमनाथ (S Somnath) का कहना है कि भारत खुद के स्पेस टूरिज्म मॉड्यूल पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. साल 2030 तक अंतरिक्ष की सैर की जा सकती है. जिसके लिए प्रति व्यक्ति 6 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. वैसे भी अंतरिक्ष के बारे में सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि आम आदमी भी जानना चाहता है. उसे सदा से ही अंतरिक्ष के रहस्यों ने अपनी तरफ आकर्षित किया है और वो एक बार अंतरिक्ष में कदम रखना चाहता है. दुनियाभर के कई देश स्पेस टूरिज्म की दिशा में काफी आगे बढ़े हैं. लेकिन अब भारत में भी सात साल बाद यात्री अंतरिक्ष में कदम रख सकते हैं.

निजी क्षेत्रों की भी भागीदारी

वैज्ञानिकों ने बताया, अंतरिक्ष पर्यटन की योजना निजी कंपनियों के साथ मिलकर बनाई जाएगी. कंपनियां भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के माध्यम से इसरो के साथ साझेदार बनेंगी. सरकार ने गैर-सरकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए एजेंसी के रूप में इन-स्पेस का गठन किया है.

इसरो छह करोड़ रुपये में लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराएगा. अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में यह फैसला लिया है. इसके लिए वर्ष 2030 को लक्ष्य रखा गया है. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यह जानकारी दी है.

सोमनाथ ने बताया, सरकार की अंतरिक्ष पर्यटन पहल गति पकड़ रही है. भारत वैश्विक बाजार में ‘प्रतिस्पर्धी कीमतों’ पर अंतरिक्ष के लिए टिकट की कीमत तय करेगा. प्रति टिकट की लागत लगभग छह करोड़ रुपये हो सकती है. उन्होंने कहा, यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए तकनीकी विषयों पर चर्चा हो रही है.

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष डॉ जितेंद्र सिंह ने फरवरी में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इसरो ने भारत के उप-कक्षीय अंतरिक्ष पर्यटन के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करना शुरू कर दिया है. सिंह ने कहा कि गगनयान के माध्यम से भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में इसरो विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास में लगा हुआ है.

यात्रा करने वाले लोग खुद को ‘अंतरिक्ष यात्री’ कह सकेंगे. बता दें कि सरकार ने फरवरी में बताया था कि इसरो ने अंतरिक्ष पर्यटन के लिए अध्ययन करना शुरू कर दिया है. देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के माध्यम से इसरो विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास में लगा हुआ है. इससे जरिये साधारण लोगों को भी अंतरिक्ष में भेजने की योजना है.